Uncategorizedसरकती जाये है रुख से नक़ाब .. अमीर मीनाई की दिलफ़रेब सोच को आवाज़ से निखारा जगजीत सिंह नेAmitJuly 28, 2010 by AmitJuly 28, 2010090 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९४ वो बेदर्दी से सर काटे ‘अमीर’ और मैं कहूँ उन से, हुज़ूर आहिस्ता-आहिस्ता जनाब आहिस्ता-आहिस्ता। आज की महफ़िल इसी शायर के नाम है,...
Uncategorizedये कौन आता है तन्हाईयों में जाम लिए.. मख़्दूम मोहिउद्दीन के लफ़्ज़ औ' आबिदा की पुकार..वाह जी वाह!AmitJuly 21, 2010 by AmitJuly 21, 20100252 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९३ दिन से महीने और फिर बरस बीत गयेफिर क्यूं हर शब तन्हाई आंख से आंसू बनकर ढल जाती हैफिर क्यूं हर शब तेरे...
Uncategorizedतुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो.. बशीर और हुसैन बंधुओं ने माँगी बड़ी हीं अनोखी दुआAmitJuly 7, 2010 by AmitJuly 7, 20100288 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९१ “जगजीत सिंह ने आठ गज़लें गाईं और उनसे एक लाख रुपए मिले, अपने जमाने में गालिब ने कभी एक लाख रुपए देखे भी...
Uncategorizedहमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर.. यादें गढने और चेहरे पढने में उलझे हैं रूप कुमार और जाँ निसारAmitJune 30, 2010 by AmitJune 30, 20100253 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९० “जाँ निसार अख्तर साहिर लुधियानवी के घोस्ट राइटर थे।” निदा फ़ाज़ली साहब का यह कथन सुनकर आश्चर्य होता है.. घोर आश्चर्य। पता करने...
Uncategorizedदिल मगर कम किसी से मिलता है… बड़े हीं पेंचो-खम हैं इश्क़ की राहो में, यही बता रहे हैं जिगर आबिदाAmitJune 16, 2010 by AmitJune 16, 20100266 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८८ “को“कोई अच्छा इनसान ही अच्छा शायर हो सकता है।” ’जिगर’ मुरादाबादी का यह कथन किसी दूसरे शायर पर लागू हो या न हो,...
Uncategorizedढल गया हिज्र का दिन आ भी गई वस्ल की रात… फ़ैज़ साहब के बेमिसाल बोल और इक़बाल बानो की मदभरी आवाज़AmitMay 5, 2010 by AmitMay 5, 20100232 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८२ बात तो दर-असल पुरानी हो चुकी है, फिर भी अगर ऐसा मुद्दा हो, ऐसी घटना हो जिससे खुशी मिले तो फिर क्यों न...
Uncategorizedजब भी चूम लेता हूँ इन हसीन आँखों को…. कैफ़ी की "कैफ़ियत" और रूप की "रूमानियत" उतर आई है इस गज़ल में..AmitApril 28, 2010 by AmitApril 28, 20100255 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८१ पि छली दस कड़ियों में हमने बिना रूके चचा ग़ालिब की हीं बातें की। हमारे लिए वह सफ़र बड़ा हीं सुकूनदायक रहा और...
Uncategorizedज़ुल्मतकदे में मेरे…..ग़ालिब को अंतिम विदाई देने के लिए हमने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है जनाब जगजीत सिंह जी कोAmitApril 21, 2010 by AmitApril 21, 20100296 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८० आज से कुछ दो या ढाई महीने पहले हमने ग़ालिब पर इस श्रृंखला की शुरूआत की थी और हमें यह कहते हुए बहुत...
Uncategorizedउस पे बन जाये कुछ ऐसी कि बिन आये न बने.. जसविंदर सिंह की जोरदार आवाज़ में ग़ालिब ने माँगी ये दुआAmitApril 14, 2010 by AmitApril 14, 20100205 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७९ पिछली किसी कड़ी में इस बात का ज़िक्र आया था कि “ग़ालिब” के उस्ताद “ग़ालिब” हीं थे। उस वक्त तो हमने इस बात...
Uncategorizedकहते हैं अगले ज़माने में कोई "मीर" भी था.. हामिद अली खां के बहाने से मीर को याद किया ग़ालिब नेAmitMarch 31, 2010 by AmitMarch 31, 20100264 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७७ आज की महफ़िल बाकी महफ़िलों से अलहदा है, क्योंकि आज हम “ग़ालिब” के बारे में कुछ नया नहीं बताने जा रहे..बल्कि माहौल को...