Uncategorizedआवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तन्हाई .. अली सरदार जाफ़री के दिल का गुबार फूटा जगजीत सिंह के सामनेAmitAugust 4, 2010 by AmitAugust 4, 20100306 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९५ “शायर न तो कुल्हाड़ी की तरह पेड़ काट सकता है और न इन्सानी हाथों की तरह मिट्टी से प्याले बना सकता है। वह...
Uncategorizedसरकती जाये है रुख से नक़ाब .. अमीर मीनाई की दिलफ़रेब सोच को आवाज़ से निखारा जगजीत सिंह नेAmitJuly 28, 2010 by AmitJuly 28, 20100172 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९४ वो बेदर्दी से सर काटे ‘अमीर’ और मैं कहूँ उन से, हुज़ूर आहिस्ता-आहिस्ता जनाब आहिस्ता-आहिस्ता। आज की महफ़िल इसी शायर के नाम है,...
Uncategorizedतुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो.. बशीर और हुसैन बंधुओं ने माँगी बड़ी हीं अनोखी दुआAmitJuly 7, 2010 by AmitJuly 7, 20100366 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९१ “जगजीत सिंह ने आठ गज़लें गाईं और उनसे एक लाख रुपए मिले, अपने जमाने में गालिब ने कभी एक लाख रुपए देखे भी...
Uncategorizedग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात.. फ़िराक़ के ग़मों को दूर करने के लिए बुलाए गए हैं गज़लजीत जगजीत सिंहAmitJune 9, 2010 by AmitJune 9, 20100303 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८७ आज हम जिस शायर की ग़ज़ल से रूबरू होने जा रहे हैं, उन्हें समझना न सिर्फ़ औरों को लिए बल्कि खुद उनके लिए...
Uncategorizedज़ुल्मतकदे में मेरे…..ग़ालिब को अंतिम विदाई देने के लिए हमने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है जनाब जगजीत सिंह जी कोAmitApril 21, 2010 by AmitApril 21, 20100340 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८० आज से कुछ दो या ढाई महीने पहले हमने ग़ालिब पर इस श्रृंखला की शुरूआत की थी और हमें यह कहते हुए बहुत...
Uncategorizedकोई ये कैसे बताये कि वो तन्हा क्यों है….कैफी साहब और जगजीत सिंह जैसे चीर देते है दिलSajeevMarch 20, 2010 by SajeevMarch 20, 20100313 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 379/2010/79 कल हमने १९८२ की फ़िल्म ‘बाज़ार’ का ज़िक्र किया था। आज भी हम १९८२ पर ही कायम हैं और...
Uncategorizedरौशन दिल, बेदार नज़र दे या अल्लाह…इसी दुआ के साथ लता दीदी को जन्मदिन की हार्दिक बधाईAmitOctober 6, 2009 by AmitOctober 6, 20090263 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५१ पाँच हफ़्तों और दस कड़ियों की माथापच्ची के बाद हम हाज़िर हैं प्रश्न-पहेली के अंकों का हिसाब लेकर। इन प्रश्न-पहेलियों में मुख्यत: ३...
Uncategorizedये खेल होगा नहीं दुबारा…बड़ी हीं मासूमियत से समझा रहे हैं "निदा" और "जगजीत सिंह"AmitOctober 2, 2009 by AmitOctober 2, 20090285 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५० महफ़िल-ए-गज़ल की जब हमने शुरूआत की थी, तब हमने सोचा भी नहीं था कि गज़लों का यह सफ़र ५०वीं कड़ी तक पहुँचेगा। लेकिन...
Uncategorizedदिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई….. महफ़िल-ए-बेइख्तियार और "गुलज़ार"AmitAugust 7, 2009 by AmitAugust 7, 20090262 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३६ दिशा जी की नाराज़गी को दूर करने के लिए लीजिए हम लेकर हाज़िर हैं उनकी पसंद की पहली गज़ल। इस गज़ल की खासियत...
Uncategorizedकैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म…आज की महफ़िल में पेश हैं "मौलाना" के लफ़्ज़ और दर्द-ए-"अज़ीज़"AmitAugust 4, 2009 by AmitAugust 4, 20090286 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३५ पिछली महफ़िल में किए गए एक वादे के कारण शरद जी की पसंद की तीसरी गज़ल लेकर हम हाज़िर न हो सके। आपको...