Tag : nida fazli

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सरकती जाये है रुख से नक़ाब .. अमीर मीनाई की दिलफ़रेब सोच को आवाज़ से निखारा जगजीत सिंह ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९४ वो बेदर्दी से सर काटे ‘अमीर’ और मैं कहूँ उन से, हुज़ूर आहिस्ता-आहिस्ता जनाब आहिस्ता-आहिस्ता। आज की महफ़िल इसी शायर के नाम है,...
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तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो.. बशीर और हुसैन बंधुओं ने माँगी बड़ी हीं अनोखी दुआ

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९१ “जगजीत सिंह ने आठ गज़लें गाईं और उनसे एक लाख रुपए मिले, अपने जमाने में गालिब ने कभी एक लाख रुपए देखे भी...
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हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर.. यादें गढने और चेहरे पढने में उलझे हैं रूप कुमार और जाँ निसार

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९० “जाँ निसार अख्तर साहिर लुधियानवी के घोस्ट राइटर थे।” निदा फ़ाज़ली साहब का यह कथन सुनकर आश्चर्य होता है.. घोर आश्चर्य। पता करने...
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दिल मगर कम किसी से मिलता है… बड़े हीं पेंचो-खम हैं इश्क़ की राहो में, यही बता रहे हैं जिगर आबिदा

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८८ “को“कोई अच्छा इनसान ही अच्छा शायर हो सकता है।” ’जिगर’ मुरादाबादी का यह कथन किसी दूसरे शायर पर लागू हो या न हो,...
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अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल.. अपने शोख कातिल से ग़ालिब की इस गुहार के क्या कहने!!

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७८ देखते -देखते हम चचा ग़ालिब को समर्पित आठवीं कड़ी के दर पर आ चुके हैं। हमने पहली कड़ी में आपसे जो वादा किया...
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ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को ख़बर होने तक.. उस्ताद बरकत अली खान की आवाज़ में इश्क की इन्तहा बताई ग़ालिब ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७४ इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी-ए-कामिल को,तब जाके कहीं हम को ग़ालिब का ख़्याल आया ।तुर्बत है कहाँ उसकी, मसकन था कहाँ उसका,अब अपने सुख़न...
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ये खेल होगा नहीं दुबारा…बड़ी हीं मासूमियत से समझा रहे हैं "निदा" और "जगजीत सिंह"

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५० महफ़िल-ए-गज़ल की जब हमने शुरूआत की थी, तब हमने सोचा भी नहीं था कि गज़लों का यह सफ़र ५०वीं कड़ी तक पहुँचेगा। लेकिन...
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शीशा-ए-मय में ढले सुबह के आग़ाज़ का रंग ……. फ़ैज़ के हर्फ़ों को आवाज़ के शीशे में उतारा आशा ताई ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #४० महफ़िल-ए-गज़ल की ३८वीं कड़ी में हुई अपनी गलती को सुधारने के लिए लीजिए हम हाज़िर हैं शरद जी की पसंद की आखिरी गज़ल...
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बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी….. एक फ़रमाईश जो पहुँची कफ़ील आज़र तक

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३२ आज महफ़िल-ए-गज़ल की ३२वीं कड़ी है और वादे के अनुसार हम फ़रमाईश की पहली गज़ल/नज़्म लेकर हाज़िर हैं। जिन लोगों को फ़रमाईश वाली...
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कुछ यूँ दिये निदा फ़ाज़ली ने जवाब

Amit
निदा फ़ाज़ली की ही आवाज़ में सुनिए हिन्द-युग्म के पाठकों के सवालों के जवाब जवाब देते निदा फ़ाज़ली हिन्द-युग्म ने यह तय किया है कि...