Uncategorizedदिल मगर कम किसी से मिलता है… बड़े हीं पेंचो-खम हैं इश्क़ की राहो में, यही बता रहे हैं जिगर आबिदाAmitJune 16, 2010 by AmitJune 16, 20100350 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८८ “को“कोई अच्छा इनसान ही अच्छा शायर हो सकता है।” ’जिगर’ मुरादाबादी का यह कथन किसी दूसरे शायर पर लागू हो या न हो,...
Uncategorizedवाह-वाह रम्ज़ सजन दी होर….. महफ़िल-ए-अथाह और "बाबा बुल्ले शाह"AmitJune 23, 2009 by AmitJune 23, 20090268 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #२३ एक शख्स जिसे उसकी लीक से हटकर धारणाओं और भावनाओं के कारण गैर-इस्लामिक करार दिया गया और जिसे कज़ा के बाद भी अपने...