Uncategorizedआवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तन्हाई .. अली सरदार जाफ़री के दिल का गुबार फूटा जगजीत सिंह के सामनेAmitAugust 4, 2010 by AmitAugust 4, 20100237 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९५ “शायर न तो कुल्हाड़ी की तरह पेड़ काट सकता है और न इन्सानी हाथों की तरह मिट्टी से प्याले बना सकता है। वह...
Uncategorizedदिल मगर कम किसी से मिलता है… बड़े हीं पेंचो-खम हैं इश्क़ की राहो में, यही बता रहे हैं जिगर आबिदाAmitJune 16, 2010 by AmitJune 16, 20100266 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८८ “को“कोई अच्छा इनसान ही अच्छा शायर हो सकता है।” ’जिगर’ मुरादाबादी का यह कथन किसी दूसरे शायर पर लागू हो या न हो,...
Uncategorizedग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात.. फ़िराक़ के ग़मों को दूर करने के लिए बुलाए गए हैं गज़लजीत जगजीत सिंहAmitJune 9, 2010 by AmitJune 9, 20100243 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८७ आज हम जिस शायर की ग़ज़ल से रूबरू होने जा रहे हैं, उन्हें समझना न सिर्फ़ औरों को लिए बल्कि खुद उनके लिए...
Uncategorizedबेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़… कुछ इस तरह जोश की जिंदादिली को स्वर दिया मेहदी हसन नेAmitJune 2, 2010 by AmitJune 2, 20100458 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८६ दैनिक जीवन में आपका ऐसे इंसानों से ज़रूर पाला पड़ा होगा जिनके बारे में लोग दो तरह के ख्यालात रखते हैं, मतलब कि...
Uncategorizedऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, वहशत-ए-दिल क्या करूँ…मजाज़ के मिजाज को समझने की कोशिश की तलत महमूद नेAmitMay 26, 2010 by AmitMay 26, 20100277 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८५ कुछ शायर ऐसे होते है, जो पहली मर्तबा में हीं आपके दिल-औ-दिमाग को झंकझोर कर रख देते हैं। इन्हें पढना या सुनना किसी...
Uncategorized"इन हाथों की ताज़ीम करो…"- अली सरदार जाफरी के बोल और शुभम् का संगीतAmitMarch 13, 2009 by AmitMarch 13, 20090217 आवाज़ पर इस सप्ताह हमने आपको मिलवाया कुछ ऐसे फनकारों से जो यूँ तो आवाज़ और हिंद युग्म से काफी लम्बे समय से जुड़े हुए...