Tag : sahir ludhayanvi

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मोहब्बत तर्क की मैंने गरेबाँ सी लिया मैंने.. दिल पर पत्थर रखकर खुद को तोड़ रहे हैं साहिर और तलत

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८९ “सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं?” – मुमकिन है कि आपने यह पंक्ति पढी या सुनी ना हो, लेकिन इस पंक्ति के इर्द-गिर्द जो नज़्म बुनी...
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ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, वहशत-ए-दिल क्या करूँ…मजाज़ के मिजाज को समझने की कोशिश की तलत महमूद ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८५ कुछ शायर ऐसे होते है, जो पहली मर्तबा में हीं आपके दिल-औ-दिमाग को झंकझोर कर रख देते हैं। इन्हें पढना या सुनना किसी...
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मैं पल दो पल का शायर हूँ…हर एक पल के शायर साहिर हैं मनु बेतक्ल्लुस जी की खास पसंद

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 409/2010/109 आपकी फ़रमाइशी गीतों के ध्वनि तरंगों पे सवार हो कर ‘पसंद अपनी अपनी’ शृंखला की नौवीं कड़ी में हम...
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पड़े बरखा फुहार, करे जियरा पुकार….इंदु जी और पाबला जी के जीवन से जुड़ा एक खास गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 403/2010/103 ‘पसंद अपनी अपनी’ के तहत इन दिनों आप ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर सुन रहे हैं अपनी ही पसंद के...
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आज मुझे कुछ कहना है…जब साहिर की अधूरी चाहत को स्वर दिए सुधा मल्होत्रा और किशोर कुमार ने

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 402/2010/102 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर कल से हमने शुरु की है आप ही के पसंदीदा गीतों पर आधारित लघु शृंखला...
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मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी….गुड्डो दादी की पसंद आज ओल्ड इस गोल्ड पर

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 401/2010/101 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की महफ़िल में सभी श्रोताओं व पाठकों का फिर एक बार स्वागत है। पिछले दिनों हमने...
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गरजत बरसात सावन आयो री….सुन कर इस गीत को जैसे बिन बादल बारिश में भीग जाता है मन

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 395/2010/95 भारतीय शास्त्रीय संगीत की यह विशिष्टता रही है कि हर मौसम, हर ऋतु के हिसाब से इसे गाया जा...
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ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को ख़बर होने तक.. उस्ताद बरकत अली खान की आवाज़ में इश्क की इन्तहा बताई ग़ालिब ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७४ इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी-ए-कामिल को,तब जाके कहीं हम को ग़ालिब का ख़्याल आया ।तुर्बत है कहाँ उसकी, मसकन था कहाँ उसका,अब अपने सुख़न...
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मोहे भी रंग देता जा मोरे सजना…संगीत के विविध रंगों से सजा एक रंगीला गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 363/2010/63 रंग रंगीले गीतों पर आधारित ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की यह लघु शृंखला ‘गीत रंगीले’ जारी है ‘आवाज़’ पर। “आजा...
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भरम तेरी वफाओं का मिटा देते तो क्या होता…तलत की आवाज़ पर साहिर के बोल

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 351/2010/51 आज है २० फ़रवरी। याद है ना आपको पिछले साल आज ही के दिन से शुरु हुई थी ‘ओल्ड...