Uncategorizedऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, वहशत-ए-दिल क्या करूँ…मजाज़ के मिजाज को समझने की कोशिश की तलत महमूद नेAmitMay 26, 2010 by AmitMay 26, 20100341 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८५ कुछ शायर ऐसे होते है, जो पहली मर्तबा में हीं आपके दिल-औ-दिमाग को झंकझोर कर रख देते हैं। इन्हें पढना या सुनना किसी...
Uncategorizedएक दो तीन आजा मौसम है रंगीन….रंगीन मौसम को और रंगीन किया शमशाद बेगम नेSajeevJune 19, 2009 by SajeevJune 19, 20090375 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 116 हमारी फ़िल्मों में कुछ चरित्र ऐसे होते हैं जो मूल कहानी के पात्र तो नहीं होते लेकिन जिनकी उपस्तिथि...
Uncategorizedआवारा हूँ…या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ….कभी कहा था खुद राज कपूर नेSajeevJune 5, 2009 by SajeevJune 5, 20090258 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 102 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ मे चल रहा है ‘राज कपूर विशेष‘। कल के अंक मे राज कपूर के शुरूआती दिनों...