Uncategorizedओल्ड इस गोल्ड – ई मेल के बहाने यादों के खजाने – ०२SajeevAugust 7, 2010 by SajeevAugust 7, 20100342 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के दोस्तों, नमस्कार! ‘ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें’ – ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के इस साप्ताहिक विशेषांक में आज दूसरी बार हमारी...
Uncategorizedबरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा….जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन मेंSajeevAugust 5, 2010 by SajeevAugust 5, 20100344 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 455/2010/155 “सेहरा में रात फूलों की”, आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल...
Uncategorizedवो एक दोस्त मुझको खुदा सा लगता है…..सुनेंगे इस गज़ल को तो और भी याद आयेंगें किशोर दाSajeevAugust 4, 2010 by SajeevAugust 4, 20100281 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 454/2010/154 मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, और लता मंगेशकर के बाद आज बारी है किशोर दा, यानी किशोर कुमार की। और...
Uncategorizedअहले दिल यूँ भी निभा लेते हैं….नक्श साहब का कलाम और लता की पुरकशिश आवाज़SajeevAugust 3, 2010 by SajeevAugust 3, 20100330 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 453/2010/153 ख़य्याम साहब एक ऐसे संगीतकार रहे जिन्होने ना केवल अपने संगीत के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया, बल्कि...
Uncategorized"इश्क़ महंगा पड़े फिर भी सौदा करे".. ऐसा हीं एक सौदा करने आ पहुँचें हैं कभी साफ़, कभी गंदे, "लफ़ंगे परिंदे"AmitAugust 3, 2010 by AmitAugust 3, 20100230 ताज़ा सुर ताल २९/२०१० विश्व दीपक – नमस्कार दोस्तों! जैसा कि हाल के सालों में हम देखते आ रहे हैं.. आज के फ़िल्मकार नई नई...
Uncategorizedये क्या जगह है दोस्तों…..शहरयार, खय्याम और आशा की तिकड़ी और उस पर रेखा की अदाकारी – बेमिसालSajeevAugust 2, 2010 by SajeevAugust 2, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 452/2010/152 ‘सेहरा में रात फूलों की’ – ८० के दशक की कुछ यादगार ग़ज़लों की इस लघु शृंखला की दूसरी...
Uncategorizedमोहब्बत रंग लाएगी जनाब आहिस्ता आहिस्ता….इसी विश्वास पे तो कायम है न दुनिया के तमाम रिश्तेSajeevAugust 1, 2010 by SajeevAugust 1, 20100289 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 451/2010/151 फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर ४० के दशक के आख़िर से लेकर ५० और ६० के दशकों में पूरे...
Uncategorized'ओल्ड इज़ गोल्ड' – ई-मेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें – ०१SajeevJuly 31, 2010 by SajeevJuly 31, 20100233 नमस्कार दोस्तों! आज आप मुझे यहाँ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के स्तंभ में देख कर हैरान ज़रूर हो रहे होंगे कि भई शनिवार को तो ‘ओल्ड...
Uncategorizedठंडी हवा ये चाँदनी सुहानी…..और ऐसे में अगर किशोर दा सुनाएँ कोई कहानी तो क्यों न गुनगुनाये जिंदगीSajeevJuly 29, 2010 by SajeevJuly 29, 20100257 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 450/2010/150 ‘गीत अपना धुन पराई’, आज हम आ पहुँचे हैं इस शृंखला की अंतिम कड़ी पर। पिछले नौ कड़ियों में...
Uncategorizedगोरे गोरे ओ बांके छोरे….प्रेरित धुनों पर थिरकने वाले गीतों की संख्या अधिक हैSajeevJuly 28, 2010 by SajeevJuly 28, 20100239 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 449/2010/149 संगीतकार सी. रामचन्द्र को क्रांतिकारी संगीतकारों की सूची में शामिल किया जाता है। ४० के दशक में जब फ़िल्म...