Tag : r d burman

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बरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा….जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 455/2010/155 “सेहरा में रात फूलों की”, आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल...
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वो एक दोस्त मुझको खुदा सा लगता है…..सुनेंगे इस गज़ल को तो और भी याद आयेंगें किशोर दा

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 454/2010/154 मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, और लता मंगेशकर के बाद आज बारी है किशोर दा, यानी किशोर कुमार की। और...
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कैसा तेरा प्यार कैसा गुस्सा है सनम…कभी आता है प्यार तो कभी गुस्सा विदेशी धुनों से प्रेरित गीतों को सुनकर

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 444/2010/144 किसी विदेशी मूल धुन से प्रेरित होकर हिंदी फ़िल्मी गीत बनाने वाले संगीतकारों की अगर चर्चा हो, और उसमें...
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सावन के झूले पड़े…राग पहाड़ी पर आधारित एक मधुर सुमधुर गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 437/2010/137 नमस्कार दोस्तों! सावन के महीने की एक और परम्परा है झूलों का लगना। शहरों में तो नहीं दिखते, लेकिन...
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पार्श्वगायकों और अभिनेताओं की भी जोडियाँ बनी इंडस्ट्री में, जो अभिनय और आवाज़ में एकरूप हो गए

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३७ मोहम्मद रफ़ी शम्मी कपूर की आवाज़ हुआ करते थे। इस जोड़ी ने ६० के दशक में फ़िल्म जगत में...
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मजरूह, साहिर जैसे नामी गिरामी शायरों ने भी एक लंबी पारी खेली बतौर गीतकार

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३1 ‘ओल्ड इस गोल्ड रिवाइवल’ के अंतरगत आप कुल ४५ गानें सुन रहे हैं इन दिनों एक के बाद एक,...
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गुलज़ार के महकते शब्दों पर "पंचम" सुरों की शबनम यानी कुछ ऐसे गीत जो जेहन में ताज़ा मिले, खिले फूलों से

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # २२ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ की २२-वें कड़ी में आप सभी का एक बार फिर हार्दिक स्वागत है। आज पेश...
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आज पिया तोहे प्यार दूं….पॉडकास्टर गिरीश बिल्लोरे की यादों को सहला जाता है ये गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 407/2010/107 पसंदीदा गीतों की इस शृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हमने एक ऐसे शख़्स का फ़रमाइशी गीत चुना है...
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गलियों में घूमो, सड़कों पे झूमो, दुनिया की खूब करो सैर….आशा और उषा का है ये सुरीला पैगाम

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 398/2010/98 ‘सखी सहेली’ शृंखला की आज की कड़ी में एक ज़बरदस्त हंगामा होने जा रहा है, क्योंकि आज के अंक...
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कुछ तो लोग कहेंगें…बख्शी साहब के मिजाज़ को भी बखूबी उभारता है ये गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 383/2010/83 आनंद बक्शी साहब के लिखे गीतों पर आधारित इस लघु शृंखला ‘मैं शायर तो नहीं’ को आगे बढ़ाते हुए...