Uncategorizedमहान फनकारों के सुरों से सुर मिलते आज हम आ पहुंचे हैं रिवाईवल की अंतिम कड़ी में ये कहते हुए – तू भी मेरे सुर में सुर मिला दे…SajeevJune 4, 2010 by SajeevJune 4, 20100277 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४५ पिछले ४५ दिनों से, यानी डेढ़ महीनों से आप ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर सुन रहे हैं रिवाइवल सुनहरे दौर...
Uncategorizedगीत कभी बूढ़े नहीं होते, उनके चेहरों पर कभी झुर्रियाँ नहीं पड़ती…सच ही तो कहा था गुलज़ार साहब नेSajeevJune 3, 2010 by SajeevJune 3, 20100283 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४४ गुलज़ार, राहुल देव बर्मन, आशा भोसले। ७० के दशक के आख़िर से लेकर ८० के दशक के मध्य भाग...
Uncategorizedदो युवा प्रेमियों के प्रेम तो कभी प्रेम त्रिकोण को आधार बना कर लिखी गयी बहुत सी फ़िल्में, और अनेकों गीत भीSajeevJune 2, 2010 by SajeevJune 2, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४३ राज कपूर कैम्प की एक मज़बूत स्तम्भ रहीं हैं लता मंगेशकर। दो एक फ़िल्मों को छोड़कर राज साहब की...
Uncategorizedक्या लता जी की आवाज़ से भी अधिक दिव्य और मधुर कुछ हो सकता है कानों के लिएSajeevJune 1, 2010 by SajeevJune 1, 20100264 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४२ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ में आज हम जिस गीत का रिवाइव्ड वर्ज़न लेकर आए हैं, वह है सन् १९९१...
Uncategorizedरफ़ी साहब- एक ऐसी आवाज़ जिसने जाने कितनी बार हम सब के जज़्बात अपने स्वरों में उकेरे हैSajeevMay 31, 2010 by SajeevMay 31, 20100277 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४१ कल ही हम यह बात कर रहे थे कि शक़ील साहब ने ज़्यादातर काम नौशाद साहब के साथ किया...
Uncategorizedजितने अच्छे गायक थे, उतने ही बढ़िया संगीतकार भी थे हेमंत दाSajeevMay 30, 2010 by SajeevMay 30, 20100257 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४० युं तो शक़ील बदायूनी ने ज़्यादातर संगीतकार नौशाद साहब के लिए ही गीत लिखे, लेकिन दूसरे संगीतकारों के लिए...
Uncategorizedकुदरत के नज़रों की खूबसूरती का बयां करते हुए भी बने कई नायाब गीतSajeevMay 29, 2010 by SajeevMay 29, 20100301 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३९ दिलीप कुमार के पार्श्वगायन की अगर बात करें तो सब से पहले उनके लिए गाया था अरुण कुमार ने...
Uncategorizedये वो दौर था जब फ़िल्में एक खास उद्देश्य से बनती थी, जाहिर है संगीत पर भी खूब मेहनत होती थीSajeevMay 28, 2010 by SajeevMay 28, 20100294 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३८ बी. आर चोपड़ा हिंदी सिनेमा के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उनकी हर फ़िल्म हमें कुछ ना कुछ ज़रूर...
Uncategorizedपार्श्वगायकों और अभिनेताओं की भी जोडियाँ बनी इंडस्ट्री में, जो अभिनय और आवाज़ में एकरूप हो गएSajeevMay 27, 2010 by SajeevMay 27, 20100525 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३७ मोहम्मद रफ़ी शम्मी कपूर की आवाज़ हुआ करते थे। इस जोड़ी ने ६० के दशक में फ़िल्म जगत में...
Uncategorizedफिल्म में गीत लिखना एक अलग ही किस्म की चुनौती है जिसे बेहद सफलता पूर्वक निभाया बीते दौर के गीतकारों नेSajeevMay 26, 2010 by SajeevMay 26, 20100330 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३६ १९५५ में निर्माता निर्देशक ए. आर. कारदार ने किशोर कुमार और चांद उसमानी को लेकर बनायी फ़िल्म ‘बाप रे...