Uncategorizedक्या लता जी की आवाज़ से भी अधिक दिव्य और मधुर कुछ हो सकता है कानों के लिएSajeevJune 1, 2010 by SajeevJune 1, 20100264 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४२ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ में आज हम जिस गीत का रिवाइव्ड वर्ज़न लेकर आए हैं, वह है सन् १९९१...
Uncategorizedरविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत (8)SajeevJune 21, 2009 by SajeevJune 21, 20090502 केतन मेहता एक सुलझे हुए निर्देशक हैं. मिर्च मसाला जैसी संवेदनशील फिल्म बनाकर उच्च कोटि के निर्देशकों में अपना नाम दर्ज कराने के बाद १९९३...
Uncategorizedसुनिए मुकेश के गाये दुर्लभ गैर फिल्मी ग़ज़लों का संकलनAmitDecember 22, 2008 by AmitDecember 22, 20080309 महान गायक मुकेश के बारे में हम आवाज़ पर पहले भी कई बार बात कर चुके हैं. संगीतकार हृदयनाथ मंगेशकर जी का संस्मरण हमने प्रस्तुत...
Uncategorizedजितनी सुरीली हैं ग़ालिब की ग़ज़लें; गाने में दोगुना तप मांगती हैंAmitSeptember 25, 2008 by AmitSeptember 25, 20080310 आज एक बार फ़िर आवाज़ पर हमारे प्रिय संगीत समीक्षक और जानेमाने चिट्ठाकार संजय पटेल तशरीफ़ लाए हैं और बता रहे हैं लता मंगेशकर की...
Uncategorizedग़ालिब का कलाम और लता का अंदाज़ – क़यामतAmitSeptember 21, 2008 by AmitSeptember 21, 20080264 लता संगीत उत्सव की एक और पेशकश – लता सुगम समारोह, पढ़ें और सुनें संजय पटेल की कलम का और लता की आवाज़ का जादू...
Uncategorizedओ जाने वाले हो सके तो ….AmitAugust 27, 2008 by AmitAugust 27, 20080297 हृदयनाथ मंगेशकर द्वारा लिखित संस्मरण हजारों गाने गानेवाले मुकेश दा के आखिरी शब्द थे – ‘यह पट्टा खोल दो’ खुशमिज़ाज मुकेश तीस हजार फुट की...