Uncategorizedबिन तोड़े पीसे कड़वी सुपारी का स्वाद चखा कुहू, वी डी और ऋषि ने मिलकरAmitJuly 9, 2010 by AmitJuly 9, 20100374 Season 3 of new Music, Song # 13 देखते ही देखते आवाज़ संगीत महोत्सव अपने तीसरे संस्करण में तेरहवें गीत पर आ पहुंचा है, हमारे...
Uncategorizedसडकें छोटी थीं, दिल बड़े थे, उस शहर के जहाँ इत्तेफ़ाकन मिले थे नितिन, उन्नी और कुहूAmitJuly 2, 2010 by AmitJuly 2, 20100355 Season 3 of new Music, Song # 12 आज बेहद गर्व के साथ हम युग्म के इस मंच पर पेश कर रहे हैं, दो नए...
Uncategorizedगीत कभी बूढ़े नहीं होते, उनके चेहरों पर कभी झुर्रियाँ नहीं पड़ती…सच ही तो कहा था गुलज़ार साहब नेSajeevJune 3, 2010 by SajeevJune 3, 20100283 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४४ गुलज़ार, राहुल देव बर्मन, आशा भोसले। ७० के दशक के आख़िर से लेकर ८० के दशक के मध्य भाग...
Uncategorizedक्या लता जी की आवाज़ से भी अधिक दिव्य और मधुर कुछ हो सकता है कानों के लिएSajeevJune 1, 2010 by SajeevJune 1, 20100264 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ४२ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ में आज हम जिस गीत का रिवाइव्ड वर्ज़न लेकर आए हैं, वह है सन् १९९१...
Uncategorizedमजरूह, साहिर जैसे नामी गिरामी शायरों ने भी एक लंबी पारी खेली बतौर गीतकारSajeevMay 21, 2010 by SajeevMay 21, 20100274 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३1 ‘ओल्ड इस गोल्ड रिवाइवल’ के अंतरगत आप कुल ४५ गानें सुन रहे हैं इन दिनों एक के बाद एक,...
Uncategorizedकुछ गीत इंडस्ट्री में ऐसे भी बने जिनका सम्बन्ध केवल फिल्म और उसके किरदारों तक सीमित नहीं था…SajeevMay 14, 2010 by SajeevMay 14, 20100431 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # २४ “चैन से हमको कभी आप ने जीने ना दिया, ज़हर जो चाहा अगर पीना तो पीने ना दिया”। फ़िल्म...
Uncategorizedफ़िल्मी गीतों के सुन्दर फिल्मांकन में उनकी लोकेशन की भी अहम भूमिका रही है फिर चाहे वो देसी हो या विदेशीSajeevMay 9, 2010 by SajeevMay 9, 20100267 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # १९ १९६४ शक्ति सामंत के फ़िल्मी सफ़र का एक महत्वपूर्ण साल रहा क्युंकि इसी साल आयी थी फ़िल्म ‘कश्मीर की...
Uncategorizedमादक गीतों में जब घुलती थी आशा की नशीली आवाज़ तो रवानगी कुछ और ही होती थीSajeevMay 3, 2010 by SajeevMay 3, 20100267 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # १३ क्योंकि आज रिवाइवल हो रहा है एक ऐसे गीत का जो उपज है आशा भोसले, ओ.पी. नय्यर और मजरूह...
Uncategorizedकिस अदा से ज़ीनत का दूँ हर शै को पता- पाँचवा ताज़ा गीतAmitApril 30, 2010 by AmitApril 30, 20100653 Season 3 of new Music, Song # 05 आवाज़ के लिए शुक्रवार का मतलब होता है बिलकुल ताज़ा। खुद के लिए और श्रोताओं के लिए...
Uncategorizedसेन्शुअस गीतों को एक नयी परिभाषा दी ओ पी नय्यर साहब नेSajeevApril 24, 2010 by SajeevApril 24, 20100357 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०४ १९६८ में कमल मेहरा की बनायी फ़िल्म आयी थी ‘क़िस्मत’। मनमोहन देसाई निर्देशित फ़िल्म ‘क़िस्मत’ की क़िस्मत बुलंद थी।...