ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०४
१९६८ में कमल मेहरा की बनायी फ़िल्म आयी थी ‘क़िस्मत’। मनमोहन देसाई निर्देशित फ़िल्म ‘क़िस्मत’ की क़िस्मत बुलंद थी। फ़िल्म तो कामयाब रही ही, फ़िल्म के गीतों ने भी ख़ासा धूम मचाये। अपनी दूसरी फ़िल्मों की तरह इस फ़िल्म में भी ओ. पी. नय्यर ने यह सिद्ध किया कि ६० के दशक के अंत में भी वो नयी पीढ़ी के किसी भी लोकप्रिय संगीतकार को सीधी टक्कर दे सकते हैं। इस फ़िल्म का वह हास्य गीत तो आपको याद है न “कजरा मोहब्बतवाला”, जिसमें शमशाद बेग़म ने विश्वजीत का प्लेबैक किया था! फ़िल्म की नायिका बबिता के लिये गीत गाये आशा भोसले ने। इस फ़िल्म में नय्यर साहब की सबसे ख़ास गायिका आशाजी ने कई अच्छे गीत गाये जिनमें से सबसे लोकप्रिय गीत आज हम इस महफ़िल के लिए चुन लाये हैं। तो चलिये हुज़ूर, देर किस बात की, आपको सितारों की सैर करवा लाते हैं आज! “आओ हुज़ूर तुमको सितारों में ले चलूँ, दिल झूम जाये ऐसी बहारों में ले चलूँ“, यह एक पार्टी गीत है, जिसे नायिका शराब के नशे मे गाती हैं। और आपको पता ही है कि इस तरह के हिचकियाँ वाले नशीले गीतों को आशाजी किस तरह का अंजाम देती हैं। तो साहब, यह गीत भी उनकी गायिकी और अदायिगी से अमरत्व को प्राप्त हो चुका है। इस गीत में बबिता का मेक-अप कुछ इस तरह का था कि वो कुछ हद तक करिश्मा कपूर की ९० के दशक के दिनों की तरह लग रहीं थीं। इस फ़िल्म के सभी गीतों को एस. एच. बिहारी साहब ने लिखे थे सिवाय इस गीत के जिसे एक बहुत ही कमचर्चित गीतकार नूर देवासी ने लिखा था। दशकों बाद १९९४ में ओ.पी. नय्यर के संगीत से सजी एक फ़िल्म आयी थी ‘ज़िद’ जिसमें नूर देवासी साहब ने एक बार फिर उनके लिए गीत लिखे, जिसे मोहम्मद अज़िज़ ने गाया था “दर्द-ए-दिल की क्या है दवा”।
ओल्ड इस गोल्ड एक ऐसी शृंखला जिसने अंतरजाल पर ४०० शानदार एपिसोड पूरे कर एक नया रिकॉर्ड बनाया. हिंदी फिल्मों के ये सदाबहार ओल्ड गोल्ड नगमें जब भी रेडियो/ टेलीविज़न या फिर ओल्ड इस गोल्ड जैसे मंचों से आपके कानों तक पहुँचते हैं तो इनका जादू आपके दिलो जेहन पर चढ कर बोलने लगता है. आपका भी मन कर उठता है न कुछ गुनगुनाने को ?, कुछ लोग बाथरूम तक सीमित रह जाते हैं तो कुछ माईक उठा कर गाने की हिम्मत जुटा लेते हैं, गुजरे दिनों के उन महान फनकारों की कलात्मक ऊर्जा को स्वरांजली दे रहे हैं, आज के युग के कुछ अमेच्युर तो कुछ सधे हुए कलाकार. तो सुनिए आज का कवर संस्करण
गीत – आओ हुज़ूर तुमको
कवर गायन – कुहू गुप्ता
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खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
