Uncategorizedरविवार सुबह की कॉफी और एक बेहद दुर्लभ अ-प्रकाशित गीत फिल्म मुग़ल-ए-आज़म से (26)…हुस्न की बारात चलीSajeevAugust 8, 2010 by SajeevAugust 8, 20100606 ज़रा गौर कीजिये कि आप किसी काम को दिल से करें उसका पूरा मेहनताना तो मिले लेकिन उसका वो इस्तेमाल न किया जाए जिसके लिए...
Uncategorizedओल्ड इस गोल्ड – ई मेल के बहाने यादों के खजाने – ०२SajeevAugust 7, 2010 by SajeevAugust 7, 20100617 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के दोस्तों, नमस्कार! ‘ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ानें’ – ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के इस साप्ताहिक विशेषांक में आज दूसरी बार हमारी...
Uncategorizedसुनो कहानी: सुधा अरोड़ा की अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठीAmitAugust 7, 2010 by AmitAugust 7, 20100638 सुधा अरोड़ा की कहानी अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी ‘सुनो कहानी’ इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने...
Uncategorizedबरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा….जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन मेंSajeevAugust 5, 2010 by SajeevAugust 5, 20100627 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 455/2010/155 “सेहरा में रात फूलों की”, आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल...
Uncategorizedवो एक दोस्त मुझको खुदा सा लगता है…..सुनेंगे इस गज़ल को तो और भी याद आयेंगें किशोर दाSajeevAugust 4, 2010 by SajeevAugust 4, 20100345 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 454/2010/154 मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, और लता मंगेशकर के बाद आज बारी है किशोर दा, यानी किशोर कुमार की। और...
Uncategorizedआवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तन्हाई .. अली सरदार जाफ़री के दिल का गुबार फूटा जगजीत सिंह के सामनेAmitAugust 4, 2010 by AmitAugust 4, 20100314 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९५ “शायर न तो कुल्हाड़ी की तरह पेड़ काट सकता है और न इन्सानी हाथों की तरह मिट्टी से प्याले बना सकता है। वह...
Uncategorizedअहले दिल यूँ भी निभा लेते हैं….नक्श साहब का कलाम और लता की पुरकशिश आवाज़SajeevAugust 3, 2010 by SajeevAugust 3, 20100404 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 453/2010/153 ख़य्याम साहब एक ऐसे संगीतकार रहे जिन्होने ना केवल अपने संगीत के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया, बल्कि...
Uncategorized"इश्क़ महंगा पड़े फिर भी सौदा करे".. ऐसा हीं एक सौदा करने आ पहुँचें हैं कभी साफ़, कभी गंदे, "लफ़ंगे परिंदे"AmitAugust 3, 2010 by AmitAugust 3, 20100277 ताज़ा सुर ताल २९/२०१० विश्व दीपक – नमस्कार दोस्तों! जैसा कि हाल के सालों में हम देखते आ रहे हैं.. आज के फ़िल्मकार नई नई...
Uncategorizedये क्या जगह है दोस्तों…..शहरयार, खय्याम और आशा की तिकड़ी और उस पर रेखा की अदाकारी – बेमिसालSajeevAugust 2, 2010 by SajeevAugust 2, 20100326 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 452/2010/152 ‘सेहरा में रात फूलों की’ – ८० के दशक की कुछ यादगार ग़ज़लों की इस लघु शृंखला की दूसरी...
Uncategorizedमोहब्बत रंग लाएगी जनाब आहिस्ता आहिस्ता….इसी विश्वास पे तो कायम है न दुनिया के तमाम रिश्तेSajeevAugust 1, 2010 by SajeevAugust 1, 20100352 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 451/2010/151 फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर ४० के दशक के आख़िर से लेकर ५० और ६० के दशकों में पूरे...