Uncategorizedबरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा….जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन मेंSajeevAugust 5, 2010 by SajeevAugust 5, 20100344 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 455/2010/155 “सेहरा में रात फूलों की”, आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल...
Uncategorizedवो एक दोस्त मुझको खुदा सा लगता है…..सुनेंगे इस गज़ल को तो और भी याद आयेंगें किशोर दाSajeevAugust 4, 2010 by SajeevAugust 4, 20100280 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 454/2010/154 मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, और लता मंगेशकर के बाद आज बारी है किशोर दा, यानी किशोर कुमार की। और...
Uncategorizedवृष्टि पड़े टापुर टुपुर…टैगोर की कविता से प्रेरित होकर दादू रविन्द्र जैन ने रचा ये सदाबहार गीतSajeevJuly 11, 2010 by SajeevJuly 11, 20100275 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 436/2010/136 नमस्कार दोस्तों! सावन की रिमझिम फुहारों का आनंद इन दिनों आप ले रहे होंगे अपनी अपनी जगहों पर। और...
Uncategorizedऔर इस दिल में क्या रखा है….कल्याणजी आनंदजी जैसे संगीतकारों के रचे ऐसे गीतों के सिवाSajeevJuly 1, 2010 by SajeevJuly 1, 20100270 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 430/2010/130 कल्याणजी-आनंदजी के स्वरबद्ध गीतों को सुनते हुए आज हम आ पहुँचे हैं लघु शृंखला ‘दिल लूटने वाले जादूगर’ की...
Uncategorizedतमाम बड़े संगीतकारों के बीच रह कर भी जयदेव ने बनायीं अपनी खास जगह अपने खास अंदाज़ सेSajeevApril 28, 2010 by SajeevApril 28, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०८ आज ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ में जयदेव का संगीत, साहिर लुधियानवी के बोल, फ़िल्म ‘हम दोनो’ का वही सदाबहार...
Uncategorizedसांझ ढले गगन तले….एक उदास अकेली शाम की पीड़ा वसंत देसाई के शब्दों मेंSajeevMarch 15, 2010 by SajeevMarch 15, 20100236 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 374/2010/74 अस्सी के दशक के फ़िल्मी गीतों के ज़िक्र से कुछ लोग अपना नाक सिकुड़ लेते हैं। यह सच है...
Uncategorizedआईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है…."सुरेश" की आवाज़ में पूछ रहे हैं "शहरयार"AmitOctober 16, 2009 by AmitOctober 16, 20090229 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५४ आकी महफ़िल में हम हाज़िर हैं सीमा जी की पसंद की दूसरी गज़ल लेकर। आज की गज़ल जिस फ़िल्म से(हाँ, यह फ़िल्मी-गज़ल है)...
Uncategorizedकोई जुगनू न आया……"सुरेश" की दिल्लगी और महफ़िल-ए-ताजगीAmitJuly 14, 2009 by AmitJuly 14, 20090231 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #२९ लीजिए देखते-देखते हम अपनी महफ़िल को उस मुकाम तक ले आएँ, जहाँ पहला पड़ाव खत्म होता है और दूसरे पड़ाव की तैयारी जोर-शोर...
Uncategorizedसांझ ढले गगन तले हम कितने एकाकी…- सुरेश वाडकरAmitDecember 3, 2008 by AmitDecember 3, 20080238 १९५४ में जन्में सुरेश वाडकर ने संगीत सीखना शुरू किया जब वो मात्र १० वर्ष के थे. पंडित जयलाल वसंत थे उनके गुरु. कहते हैं...
Uncategorizedशुद्ध भारतीय संगीत को फिल्मी परदे पर साकार रूप दिया दादू यानी रविन्द्र जैन नेAmitDecember 2, 2008 by AmitDecember 2, 20080263 अब तक आपने पढ़ा वर्ष था १९८२ का. कवियित्री दिव्या जैन से विवाह बंधन में बंध चुके हमारे दादू यानी रविन्द्र जैन साहब के संगीत...