Tag : anand bakshi

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बरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा….जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 455/2010/155 “सेहरा में रात फूलों की”, आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल...
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रिमझिम के गीत सावन गाये….एल पी के संगीत में जब सुर मिले रफ़ी साहब और लता जी के तो सावन का मज़ा दूना हो गया

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 439/2010/139 रिमझिम के तरानों पर सवार होकर हम आज पहुंचे हैं इस भीगी भीगी शृंखला की अंतिम कड़ी पर। ‘रिमझिम...
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सावन के महीने में…..जब याद आये मदन मोहन साहब तो दिल गा उठता है…

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 438/2010/138 तीन दशक बीत चुके हैं, लेकिन जब भी जुलाई का यह महीना आता है तो कलेण्डर का पन्ना इशारा...
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सावन के झूले पड़े…राग पहाड़ी पर आधारित एक मधुर सुमधुर गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 437/2010/137 नमस्कार दोस्तों! सावन के महीने की एक और परम्परा है झूलों का लगना। शहरों में तो नहीं दिखते, लेकिन...
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किसी राह में, किसी मोड पर….कहीं छूटे न साथ ओल्ड इस गोल्ड के हमारे हमसफरों का

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 429/2010/129 कल्याणजी-आनंदजी के सुर लहरियों से सजी इस लघु शृंखला ‘दिल लूटने वाले जादूगर’ में आज छा रहा है शास्त्रीय...
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ये मेरा दिल यार का दीवाना…जबरदस्त ऒरकेस्ट्रेशन का उत्कृष्ट नमूना है ये गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 428/2010/128 ‘दिल लूटने वाले जादूगर’ – कल्याणजी-आनंदजी के धुनों से सजी इस लघु शृंखला में आज हम और थोड़ा सा...
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यूहीं तुम मुझसे बात करती हो…इतने जीवंत और मधुर युगल गीत कहाँ बनते हैं रोज रोज

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 426/2010/126 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की एक नई सप्ताह के साथ हम हाज़िर हैं। इन दिनों हम आप तक पहुँचा रहे...
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कांकरिया मार के जगाया…..लता का चुलबुला अंदाज़ और निखरा कल्याणजी-आनंदजी के सुरों में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 423/2010/123 कल्याणजी-आनंदजी के स्वरबद्ध गीतों का सिलसिला जारी है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की लघु शृंखला ‘दिल लूटने वाले जादूगर’ के...
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गलियों में घूमो, सड़कों पे झूमो, दुनिया की खूब करो सैर….आशा और उषा का है ये सुरीला पैगाम

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 398/2010/98 ‘सखी सहेली’ शृंखला की आज की कड़ी में एक ज़बरदस्त हंगामा होने जा रहा है, क्योंकि आज के अंक...
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चिट्टी आई है वतन से….अपने वतन या घर से दूर रह रहे हर इंसान के मन को गहरे छू जाता है ये गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 390/2010/90 आनंद बक्शी पर केन्द्रित लघु शृंखला ‘मैं शायर तो नहीं’ के अंतिम कड़ी पर हम आज आ पहुँचे हैं।...