Uncategorizedअहले दिल यूँ भी निभा लेते हैं….नक्श साहब का कलाम और लता की पुरकशिश आवाज़SajeevAugust 3, 2010 by SajeevAugust 3, 20100329 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 453/2010/153 ख़य्याम साहब एक ऐसे संगीतकार रहे जिन्होने ना केवल अपने संगीत के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया, बल्कि...
Uncategorizedज़िंदगी किस मोड़ पर लाई मुझे…पूछते हैं तलत साहब नक्श की इस गज़ल मेंSajeevFebruary 22, 2010 by SajeevFebruary 22, 20100243 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 353/2010/53 यह है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की महफ़िल और आप इन दिनों इस पर सुन रहे हैं तलत महमूद साहब...
Uncategorizedरस्म-ए-उल्फ़त को निभायें तो निभायें कैसे- लता का सवाल, नक्श ल्यालपुरी का कलामSajeevJune 24, 2009 by SajeevJune 24, 20090252 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 121 लता मंगेशकर की आवाज़ में मदन मोहन के संगीत से सजी हुई ग़ज़लें हमें एक अलग ही दुनिया में...