Tag : khayyam

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अहले दिल यूँ भी निभा लेते हैं….नक्श साहब का कलाम और लता की पुरकशिश आवाज़

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 453/2010/153 ख़य्याम साहब एक ऐसे संगीतकार रहे जिन्होने ना केवल अपने संगीत के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया, बल्कि...
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ये क्या जगह है दोस्तों…..शहरयार, खय्याम और आशा की तिकड़ी और उस पर रेखा की अदाकारी – बेमिसाल

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 452/2010/152 ‘सेहरा में रात फूलों की’ – ८० के दशक की कुछ यादगार ग़ज़लों की इस लघु शृंखला की दूसरी...
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बरसे फुहार….गुलज़ार साहब के ट्रेड मार्क शब्द और खय्याम साहब का सुहाना संगीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 437/2010/137 ‘रिमझिम के तराने’ शृंखला की आज है आठवीं कड़ी। दोस्तों, हमने इस बात का ज़िक्र तो नहीं किया था,...
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बेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़… कुछ इस तरह जोश की जिंदादिली को स्वर दिया मेहदी हसन ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८६ दैनिक जीवन में आपका ऐसे इंसानों से ज़रूर पाला पड़ा होगा जिनके बारे में लोग दो तरह के ख्यालात रखते हैं, मतलब कि...
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मैं पल दो पल का शायर हूँ…हर एक पल के शायर साहिर हैं मनु बेतक्ल्लुस जी की खास पसंद

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 409/2010/109 आपकी फ़रमाइशी गीतों के ध्वनि तरंगों पे सवार हो कर ‘पसंद अपनी अपनी’ शृंखला की नौवीं कड़ी में हम...
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चले आओ सैयां रंगीले मैं वारी रे….क्या खूब समां बाँधा था इस विवाह गीत ने

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 378/2010/78 जिस तरह से ५० से लेकर ७० के दशक तक के समय को फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर माना...
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गर तेरी नवाज़िश हो जाए…अंदाज़े मुहब्बत और आवाजे तलत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 354/2010/54 ‘दस महकती ग़ज़लें और एक मख़मली आवाज़’ शृंखला की यह है चौथी कड़ी। १९५४ में तलत महमूद के अभिनय...
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तुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो….कितनी आत्मीयता के कहा था जगजीत कौर ने इन अल्फाजों को, याद कीजिये ज़रा…

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 335/2010/35 “मेरी याद आएगी आती रहेगी, मुझे तू भुलाने की कोशिश ना करना”। दोस्तों, कुछ आवाज़ें भुलाई नहीं भूलती। ये...
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बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों से….दर्द की कसक खय्याम के सुरों में…

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 327/2010/27 श-रद तैलंग जी के पसंद का अगला गाना है फ़िल्म ‘शगुन’ से। सुमन कल्याणपुर की आवाज़ में यह है...
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और कुछ देर ठहर, और कुछ देर न जा…कहते रह गए चाहने वाले मगर कैफी साहब नहीं रुके

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 315/2010/15 हमारे देश में ऐसे कई तरक्की पसंद अज़ीम शायर जन्में हैं जिन्होने आज़ादी के बाद एक सांस्कृतिक व सामाजिक...