Uncategorizedअहले दिल यूँ भी निभा लेते हैं….नक्श साहब का कलाम और लता की पुरकशिश आवाज़SajeevAugust 3, 2010 by SajeevAugust 3, 20100330 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 453/2010/153 ख़य्याम साहब एक ऐसे संगीतकार रहे जिन्होने ना केवल अपने संगीत के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया, बल्कि...
Uncategorizedये क्या जगह है दोस्तों…..शहरयार, खय्याम और आशा की तिकड़ी और उस पर रेखा की अदाकारी – बेमिसालSajeevAugust 2, 2010 by SajeevAugust 2, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 452/2010/152 ‘सेहरा में रात फूलों की’ – ८० के दशक की कुछ यादगार ग़ज़लों की इस लघु शृंखला की दूसरी...
Uncategorizedबरसे फुहार….गुलज़ार साहब के ट्रेड मार्क शब्द और खय्याम साहब का सुहाना संगीतSajeevJuly 13, 2010 by SajeevJuly 13, 20100207 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 437/2010/137 ‘रिमझिम के तराने’ शृंखला की आज है आठवीं कड़ी। दोस्तों, हमने इस बात का ज़िक्र तो नहीं किया था,...
Uncategorizedबेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़… कुछ इस तरह जोश की जिंदादिली को स्वर दिया मेहदी हसन नेAmitJune 2, 2010 by AmitJune 2, 20100458 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८६ दैनिक जीवन में आपका ऐसे इंसानों से ज़रूर पाला पड़ा होगा जिनके बारे में लोग दो तरह के ख्यालात रखते हैं, मतलब कि...
Uncategorizedमैं पल दो पल का शायर हूँ…हर एक पल के शायर साहिर हैं मनु बेतक्ल्लुस जी की खास पसंदSajeevApril 19, 2010 by SajeevApril 19, 20100243 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 409/2010/109 आपकी फ़रमाइशी गीतों के ध्वनि तरंगों पे सवार हो कर ‘पसंद अपनी अपनी’ शृंखला की नौवीं कड़ी में हम...
Uncategorizedचले आओ सैयां रंगीले मैं वारी रे….क्या खूब समां बाँधा था इस विवाह गीत नेSajeevMarch 19, 2010 by SajeevMarch 19, 20100492 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 378/2010/78 जिस तरह से ५० से लेकर ७० के दशक तक के समय को फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर माना...
Uncategorizedगर तेरी नवाज़िश हो जाए…अंदाज़े मुहब्बत और आवाजे तलतSajeevFebruary 23, 2010 by SajeevFebruary 23, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 354/2010/54 ‘दस महकती ग़ज़लें और एक मख़मली आवाज़’ शृंखला की यह है चौथी कड़ी। १९५४ में तलत महमूद के अभिनय...
Uncategorizedतुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो….कितनी आत्मीयता के कहा था जगजीत कौर ने इन अल्फाजों को, याद कीजिये ज़रा…SajeevFebruary 4, 2010 by SajeevFebruary 4, 20100260 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 335/2010/35 “मेरी याद आएगी आती रहेगी, मुझे तू भुलाने की कोशिश ना करना”। दोस्तों, कुछ आवाज़ें भुलाई नहीं भूलती। ये...
Uncategorizedबुझा दिए हैं खुद अपने हाथों से….दर्द की कसक खय्याम के सुरों में…SajeevJanuary 27, 2010 by SajeevJanuary 27, 20100553 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 327/2010/27 श-रद तैलंग जी के पसंद का अगला गाना है फ़िल्म ‘शगुन’ से। सुमन कल्याणपुर की आवाज़ में यह है...
Uncategorizedऔर कुछ देर ठहर, और कुछ देर न जा…कहते रह गए चाहने वाले मगर कैफी साहब नहीं रुकेSajeevJanuary 15, 2010 by SajeevJanuary 15, 20100267 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 315/2010/15 हमारे देश में ऐसे कई तरक्की पसंद अज़ीम शायर जन्में हैं जिन्होने आज़ादी के बाद एक सांस्कृतिक व सामाजिक...