Uncategorizedबेदर्द मैंने तुझको भुलाया नहीं हनोज़… कुछ इस तरह जोश की जिंदादिली को स्वर दिया मेहदी हसन नेAmitJune 2, 2010 by AmitJune 2, 20100502 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८६ दैनिक जीवन में आपका ऐसे इंसानों से ज़रूर पाला पड़ा होगा जिनके बारे में लोग दो तरह के ख्यालात रखते हैं, मतलब कि...
Uncategorizedऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, वहशत-ए-दिल क्या करूँ…मजाज़ के मिजाज को समझने की कोशिश की तलत महमूद नेAmitMay 26, 2010 by AmitMay 26, 20100341 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८५ कुछ शायर ऐसे होते है, जो पहली मर्तबा में हीं आपके दिल-औ-दिमाग को झंकझोर कर रख देते हैं। इन्हें पढना या सुनना किसी...