दो बोल लिखूँ!शब्दकोष खाली मेरे, क्या कुछ मैं अनमोल लिखूँ! आक्रोश उतारुँ पन्नों पर,या रोष उतारूँ पन्नों पर,उनकी मदहोशी को परखूँ,तेरा जोश उतारूँ पन्नों पर?इस...
मैं देखता हूँ तुम्हारे हाथचटख नीली नसों से भरेऔरउंगलियों में भरी हुई उड़ानमैं सोचता हूँतुम्हारी अनवरत देह की सफ़ेद धूपऔर उसकी गर्म आंचशमैं जीत्ताता हूँ...
हिन्दी ब्लॉग जगत पर पहली बार – पॉडकास्ट पुस्तक समीक्षा पुस्तक – साया (काव्य संग्रह)लेखिका – रंजना भाटिया “रंजू”समीक्षक – दिलीप कवठेकर युगों पहले जिस...