Uncategorizedकुदरत के नज़रों की खूबसूरती का बयां करते हुए भी बने कई नायाब गीतSajeevMay 29, 2010 by SajeevMay 29, 20100302 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३९ दिलीप कुमार के पार्श्वगायन की अगर बात करें तो सब से पहले उनके लिए गाया था अरुण कुमार ने...
Uncategorizedफिल्म के विषय और संगीत को अद्भुत रूप से मिलाने में भारतीय फिल्म निर्देशकों का विश्व में कहीं कोई सानी नहींSajeevMay 16, 2010 by SajeevMay 16, 20100315 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # २६ मनोज कुमार की सुपर हिट देश भक्ति फ़िल्म ‘पूरब और पश्चिम’ का गीत है “कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़...
Uncategorizedन कोई था, न कोई होगा हरफनमौला किशोर दा जैसाSajeevMay 2, 2010 by SajeevMay 2, 20100294 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # १२ आज ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ में किशोर कुमार की यादें ताज़ा होंगी। फ़िल्म ‘झुमरू’ का वही दर्द भरा नग़मा...
Uncategorizedदुखी मन मेरे सुन मेरा कहना…जहाँ न गूंजे बर्मन दा के गीत वहां क्या रहनाSajeevOctober 31, 2009 by SajeevOctober 31, 20090273 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 248 आज है ३१ अक्तुबर। १९७५ साल के आज ही के दिन सचिन देव बर्मन हम सब को हमेशा के...
Uncategorizedजब ओल्ड इस गोल्ड के श्रोताओं ने सुनाये सुजॉय को अपनी पसंद के गीत- 150 वें एपिसोड का जश्न है आज की शामSajeevJuly 24, 2009 by SajeevJuly 24, 20090323 २० फरवरी २००९ को आवाज़ पर शुरू हुई एक शृंखला, जिसका नाम रखा गया ओल्ड इस गोल्ड. सुजॉय चट्टर्जी विविध भारती ग्रुप के सबसे सक्रिय...
Uncategorizedनए राग से बांधे अक्सर बिछडे स्वर टूटी सरगम के…AmitNovember 27, 2008 by AmitNovember 27, 20080304 हिन्दी ब्लॉग जगत पर पहली बार – पॉडकास्ट पुस्तक समीक्षा पुस्तक – साया (काव्य संग्रह)लेखिका – रंजना भाटिया “रंजू”समीक्षक – दिलीप कवठेकर युगों पहले जिस...
Uncategorizedदेखो, वे आर डी बर्मन के पिताजी जा रहे हैं…AmitOctober 31, 2008 by AmitOctober 31, 20080475 सचिन देव बर्मन साहब की ३३ वीं पुण्यतिथि पर दिलीप कवठेकर का विशेष आलेख – सचिन देव बर्मन एक ऐसा नाम है, जो हम जैसे...
Uncategorizedगुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार !AmitOctober 10, 2008 by AmitOctober 10, 20080311 महान फिल्मकार गुरुदत्त की पुण्यतीथी पर एक विशेष प्रस्तुति लेकर आए हैं दिलीप कवठेकर कुछ दिनों पहले मैंने एक सूक्ति कहीं पढ़ी थी – To...
Uncategorizedएवरग्रीन चिरकुमार व्यक्तित्व – देव आनंदAmitOctober 5, 2008 by AmitOctober 5, 20080545 आवाज़ के स्थायी स्तंभकार दिलीप कवठेकर लाये हैं देव आनंद के गीतों से सजा एक गुलदस्ता, साथ में है एक गीत उनकी अपनी आवाज़ में...
Uncategorizedगए दिनों का सुराग लेकर…आशा जी और गुलाम अलीAmitSeptember 17, 2008 by AmitSeptember 17, 20080403 पूरे कायनात की मौसिकी यहां इस परिवार में बसती है… चूँकि इस पूरे माह हम बात कर रहे हैं मंगेशकर बहनों की, जिनकी दिव्य आवाजों...