Uncategorizedपुराने नायाब गीतों की सफलता में उन अदाकारों का अभिनय भी एक अहम घटक रहा जिन्होंने इन गीतों को परदे पर जीयाSajeevMay 22, 2010 by SajeevMay 22, 20100440 ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३२ राग अहिरीभैरव में रचा सचिन देव बर्मन का एक उत्कृष्ट रचना के साथ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ की आज...
Uncategorizedसोच के ये गगन झूमे….लता और मन्ना दा का गाया एक बेशकीमती गीत बख्शी साहब की कलम सेSajeevMarch 25, 2010 by SajeevMarch 25, 20100268 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 384/2010/84 ६०के दशक के अंतिम साल, यानी कि १९६९ में एक फ़िल्म आई थी ‘ज्योति’। फ़िल्म कब आई कब गई...
Uncategorizedकेतकी गुलाब जूही चम्पक बन फूले…दो दिग्गजों की अनूठी जुगलबंदी से बना एक अनमोल गीतSajeevMarch 6, 2010 by SajeevMarch 6, 20100266 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 365/2010/65 भारतीय शास्त्रीय संगीत के राग ना केवल दिन के अलग अलग प्रहरों से जुड़े हुए हैं, बल्कि कुछ रागों...
Uncategorizedमेरे दिल में है एक बात….लता- मन्ना के युगल स्वरों में एक चुलबुला नगमाSajeevJanuary 28, 2010 by SajeevJanuary 28, 20100325 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 328/2010/28 ओ-ल्ड इज़ गोल्ड’ में जारी है सुरीले गीतों की परंपरा, और इन दिनों हम आनंद ले रहे हैं इंदु...
Uncategorizedचुनरी संभाल गोरी उड़ी चली जाए रे…मन्ना डे और लता ने ऐसा समां बाँधा को होश उड़ जाएSajeevJanuary 4, 2010 by SajeevJanuary 4, 20100984 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 304/2010/04 ‘हिंद युग्म’ और ‘आवाज़’ की तरफ़ से, और हम अपनी तरफ़ से आज राहुल देव बर्मन यानी कि हमारे...
Uncategorizedए सखी राधिके बावरी हो गई…बर्मन दा के शास्त्रीय अंदाज़ को सलाम के साथ करें नव वर्ष का आगाज़SajeevJanuary 1, 2010 by SajeevJanuary 1, 201001595 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 301/2010/01 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के सभी चाहनेवालों को हमारी तरफ़ से नववर्ष की एक बार फिर से हार्दिक शुभकामनाएँ! नया...
Uncategorizedजाने वाले सिपाही से पूछो…ओल्ड इस गोल्ड का ३०० एपिसोड सलाम करता है देश के वीर जांबाज़ सिपाहियों कोSajeevDecember 24, 2009 by SajeevDecember 24, 20090270 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 300 और दोस्तों, हमने लगा ही लिया अपना तीसरा शतक। ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ आज पूरा कर रहा है अपना ३००-वाँ...
Uncategorizedसूरज जरा आ पास आ, आज सपनों की रोटी पकाएंगें हम…एक अंदाज़ शैलेद्र का ये भीSajeevDecember 11, 2009 by SajeevDecember 11, 20090278 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 287 शैलेन्द्र के लिखे गीतों को सुनते हुए आपने हर गीत में ज़रूर अनुभव किया होगा कि इन गीतों में...
Uncategorizedतू प्यार का सागर है….शैलेन्द्र की कलम सी निकली इस प्रार्थना में गहरी वेदना भी हैSajeevDecember 5, 2009 by SajeevDecember 5, 20090994 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 281 “अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरु कहाँ ख़तम, ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना तुम समझ सके ना हम”।...
Uncategorizedमेरी भी इक मुमताज़ थी….मधुकर राजस्थानी के दर्द को अपनी आवाज़ दी मन्ना दा ने..AmitNovember 4, 2009 by AmitNovember 4, 20090332 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५८ आज की महफ़िल में हम हाज़िर हैं शरद जी की पसंद की पहली नज़्म लेकर। शरद जी ने जिस नज़्म की फ़रमाईश की...