Tag : manna dey

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पुराने नायाब गीतों की सफलता में उन अदाकारों का अभिनय भी एक अहम घटक रहा जिन्होंने इन गीतों को परदे पर जीया

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३२ राग अहिरीभैरव में रचा सचिन देव बर्मन का एक उत्कृष्ट रचना के साथ ‘ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल’ की आज...
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सोच के ये गगन झूमे….लता और मन्ना दा का गाया एक बेशकीमती गीत बख्शी साहब की कलम से

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 384/2010/84 ६०के दशक के अंतिम साल, यानी कि १९६९ में एक फ़िल्म आई थी ‘ज्योति’। फ़िल्म कब आई कब गई...
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केतकी गुलाब जूही चम्पक बन फूले…दो दिग्गजों की अनूठी जुगलबंदी से बना एक अनमोल गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 365/2010/65 भारतीय शास्त्रीय संगीत के राग ना केवल दिन के अलग अलग प्रहरों से जुड़े हुए हैं, बल्कि कुछ रागों...
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मेरे दिल में है एक बात….लता- मन्ना के युगल स्वरों में एक चुलबुला नगमा

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 328/2010/28 ओ-ल्ड इज़ गोल्ड’ में जारी है सुरीले गीतों की परंपरा, और इन दिनों हम आनंद ले रहे हैं इंदु...
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चुनरी संभाल गोरी उड़ी चली जाए रे…मन्ना डे और लता ने ऐसा समां बाँधा को होश उड़ जाए

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 304/2010/04 ‘हिंद युग्म’ और ‘आवाज़’ की तरफ़ से, और हम अपनी तरफ़ से आज राहुल देव बर्मन यानी कि हमारे...
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ए सखी राधिके बावरी हो गई…बर्मन दा के शास्त्रीय अंदाज़ को सलाम के साथ करें नव वर्ष का आगाज़

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 301/2010/01 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के सभी चाहनेवालों को हमारी तरफ़ से नववर्ष की एक बार फिर से हार्दिक शुभकामनाएँ! नया...
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जाने वाले सिपाही से पूछो…ओल्ड इस गोल्ड का ३०० एपिसोड सलाम करता है देश के वीर जांबाज़ सिपाहियों को

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 300 और दोस्तों, हमने लगा ही लिया अपना तीसरा शतक। ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ आज पूरा कर रहा है अपना ३००-वाँ...
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सूरज जरा आ पास आ, आज सपनों की रोटी पकाएंगें हम…एक अंदाज़ शैलेद्र का ये भी

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 287 शैलेन्द्र के लिखे गीतों को सुनते हुए आपने हर गीत में ज़रूर अनुभव किया होगा कि इन गीतों में...
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तू प्यार का सागर है….शैलेन्द्र की कलम सी निकली इस प्रार्थना में गहरी वेदना भी है

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 281 “अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरु कहाँ ख़तम, ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना तुम समझ सके ना हम”।...
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मेरी भी इक मुमताज़ थी….मधुकर राजस्थानी के दर्द को अपनी आवाज़ दी मन्ना दा ने..

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५८ आज की महफ़िल में हम हाज़िर हैं शरद जी की पसंद की पहली नज़्म लेकर। शरद जी ने जिस नज़्म की फ़रमाईश की...