Month : March 2010

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चिट्टी आई है वतन से….अपने वतन या घर से दूर रह रहे हर इंसान के मन को गहरे छू जाता है ये गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 390/2010/90 आनंद बक्शी पर केन्द्रित लघु शृंखला ‘मैं शायर तो नहीं’ के अंतिम कड़ी पर हम आज आ पहुँचे हैं।...
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कहते हैं अगले ज़माने में कोई "मीर" भी था.. हामिद अली खां के बहाने से मीर को याद किया ग़ालिब ने

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७७ आज की महफ़िल बाकी महफ़िलों से अलहदा है, क्योंकि आज हम “ग़ालिब” के बारे में कुछ नया नहीं बताने जा रहे..बल्कि माहौल को...
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सोलह बरस की बाली उमर को सलाम….और सलाम उन शब्दों के शिल्पकार को

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 389/2010/89 ‘मैंशायर तो नहीं’ शृंखला में आनंद बक्शी साहब के लिखे गीतों का सिलसिला जारी है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर।...
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अब के सजन सावन में….बरसेंगे गीत ऐसे सुहाने, बख्शी साहब की कलम के

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 388/2010/88 आनंद बक्शी साहब की बस यही सब से बड़ी खासियत रही कि जब जिस सिचुयशन के लिए उनसे गीत...
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विंटेज रहमान, ठन्डे शंकर, और सक्रिय शांतनु हैं आज के टी एस टी मेनू में

Sajeev
ताज़ा सुर ताल १३/२०१० सजीव– ‘ताज़ा सुर ताल’ में आज एक नहीं बल्कि तीन तीन फ़िल्मो के गीत गूंजेंगे जो हाल ही में प्रदर्शित हुईं...
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आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है….जिंदगी भर पीछा करते हैं कुछ ऐसे गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 387/2010/87 ‘मैंशायर तो नहीं’ – गीतकार आनंद बक्शी पर केन्द्रित इस लघु शृंखला में आज जिस गीत की बारी है...
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भूल गया सब कुछ …. याद रहे मगर बख्शी साहब के लिखे सरल सहज गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 386/2010/86 आनंद बक्शी उन गीतकारों मे से हैं जिन्होने संगीतकारों की कई पीढ़ियों के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए...
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सुनो कहानी: मैं एक भारतीय

Amit
‘सुनो कहानी’ इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में शरद जोशी की कहानी...
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बागों में बहार आई, होंठों पे पुकार आई…जब बख्शी साहब ने आवाज़ मिलाई लता के साथ इस युगल गीत में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 385/2010/85 ‘मैंशायर तो नहीं’, आनंद बक्शी के लिखे गीतों पर आधारित इस शृंखला में आज हम सुनेंगे ख़ुद बक्शी साहब...
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सोच के ये गगन झूमे….लता और मन्ना दा का गाया एक बेशकीमती गीत बख्शी साहब की कलम से

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 384/2010/84 ६०के दशक के अंतिम साल, यानी कि १९६९ में एक फ़िल्म आई थी ‘ज्योति’। फ़िल्म कब आई कब गई...