Uncategorizedचिट्टी आई है वतन से….अपने वतन या घर से दूर रह रहे हर इंसान के मन को गहरे छू जाता है ये गीतSajeevMarch 31, 2010 by SajeevMarch 31, 20100189 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 390/2010/90 आनंद बक्शी पर केन्द्रित लघु शृंखला ‘मैं शायर तो नहीं’ के अंतिम कड़ी पर हम आज आ पहुँचे हैं।...
Uncategorizedकहते हैं अगले ज़माने में कोई "मीर" भी था.. हामिद अली खां के बहाने से मीर को याद किया ग़ालिब नेAmitMarch 31, 2010 by AmitMarch 31, 20100233 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #७७ आज की महफ़िल बाकी महफ़िलों से अलहदा है, क्योंकि आज हम “ग़ालिब” के बारे में कुछ नया नहीं बताने जा रहे..बल्कि माहौल को...
Uncategorizedसोलह बरस की बाली उमर को सलाम….और सलाम उन शब्दों के शिल्पकार कोSajeevMarch 30, 2010 by SajeevMarch 30, 20100240 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 389/2010/89 ‘मैंशायर तो नहीं’ शृंखला में आनंद बक्शी साहब के लिखे गीतों का सिलसिला जारी है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर।...
Uncategorizedअब के सजन सावन में….बरसेंगे गीत ऐसे सुहाने, बख्शी साहब की कलम केSajeevMarch 29, 2010 by SajeevMarch 29, 20100250 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 388/2010/88 आनंद बक्शी साहब की बस यही सब से बड़ी खासियत रही कि जब जिस सिचुयशन के लिए उनसे गीत...
Uncategorizedविंटेज रहमान, ठन्डे शंकर, और सक्रिय शांतनु हैं आज के टी एस टी मेनू मेंSajeevMarch 29, 2010 by SajeevMarch 29, 20100181 ताज़ा सुर ताल १३/२०१० सजीव– ‘ताज़ा सुर ताल’ में आज एक नहीं बल्कि तीन तीन फ़िल्मो के गीत गूंजेंगे जो हाल ही में प्रदर्शित हुईं...
Uncategorizedआदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है….जिंदगी भर पीछा करते हैं कुछ ऐसे गीतSajeevMarch 28, 2010 by SajeevMarch 28, 20100216 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 387/2010/87 ‘मैंशायर तो नहीं’ – गीतकार आनंद बक्शी पर केन्द्रित इस लघु शृंखला में आज जिस गीत की बारी है...
Uncategorizedभूल गया सब कुछ …. याद रहे मगर बख्शी साहब के लिखे सरल सहज गीतSajeevMarch 27, 2010 by SajeevMarch 27, 20100183 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 386/2010/86 आनंद बक्शी उन गीतकारों मे से हैं जिन्होने संगीतकारों की कई पीढ़ियों के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए...
Uncategorizedसुनो कहानी: मैं एक भारतीयAmitMarch 27, 2010 by AmitMarch 27, 20100183 ‘सुनो कहानी’ इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में शरद जोशी की कहानी...
Uncategorizedबागों में बहार आई, होंठों पे पुकार आई…जब बख्शी साहब ने आवाज़ मिलाई लता के साथ इस युगल गीत मेंSajeevMarch 26, 2010 by SajeevMarch 26, 20100216 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 385/2010/85 ‘मैंशायर तो नहीं’, आनंद बक्शी के लिखे गीतों पर आधारित इस शृंखला में आज हम सुनेंगे ख़ुद बक्शी साहब...
Uncategorizedसोच के ये गगन झूमे….लता और मन्ना दा का गाया एक बेशकीमती गीत बख्शी साहब की कलम सेSajeevMarch 25, 2010 by SajeevMarch 25, 20100186 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 384/2010/84 ६०के दशक के अंतिम साल, यानी कि १९६९ में एक फ़िल्म आई थी ‘ज्योति’। फ़िल्म कब आई कब गई...