Uncategorizedतू कहे अगर जीवन भर मैं गीत सुनाता जाऊं…उम्र भर तो गाया मुकेश ने पर अफ़सोस ये उम्र बेहद कम रहीSajeevAugust 31, 2009 by SajeevAugust 31, 20090189 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 188 आज एक बार फिर से हम वापस रुख़ करते हैं ४० के दशक की आख़िर की तरफ़। १९४९ का...
Uncategorizedफ़िक्र करे फुकरे….मिका ने दिया खुश रहने का नया मन्त्रSajeevAugust 31, 2009 by SajeevAugust 31, 20090235 ताजा सुर ताल (18) ताजा सुर ताल में आज सुनिए प्रीतम और जयदीप सहानी का रचा ताज़ा हिट गीत सजीव – सुजॉय, कभी कभी मन...
Uncategorizedसुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं….कौन न खो जाए मुकेश की इस मस्ती भरी आवाज़ मेंSajeevAugust 30, 2009 by SajeevAugust 30, 20090255 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 187 दिलीप कुमार के लिए पार्श्वगायन की अगर बात करें तो सब से पहले उनके लिए गाया था अरुण कुमार...
Uncategorizedपॉडकास्ट कवि सम्मलेन – अगस्त 2009AmitAugust 30, 2009 by AmitAugust 30, 20090211 इंटरनेटीय कवियों की इंटरनेटीय गोष्ठी रश्मि प्रभा खुश्बू यदि आप पुराने लोगों से बात करें तो वे बतायेंगे कि भारत में एक समय कॉफी हाउसों...
Uncategorizedदोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा…पर मुकेश का आवाज़ न बदली न बदले उनके चाहने वालेSajeevAugust 29, 2009 by SajeevAugust 29, 20090443 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 186 मुकेश के पसंदीदा गीतों में घूम फिर कर राज कपूर की फ़िल्मों के गानें शामिल होना कोई अचरज की...
Uncategorizedनसीहतों का दफ्तर – मुंशी प्रेमचंदAmitAugust 29, 2009 by AmitAugust 29, 20090215 सुनो कहानी: मुंशी प्रेमचंद की “नसीहतों का दफ्तर” ‘सुनो कहानी’ इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने नीलम...
Uncategorizedजिन्दा हूँ इस तरह कि गम-ए-जिंदगी नहीं….उफ़ कैसा दर्द है मुकेश के इन स्वरों में…SajeevAugust 28, 2009 by SajeevAugust 28, 20090225 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 185 मुकेश का फ़िल्म जगत में दाख़िला तो सन् १९४१ में ही हो गया था, लेकिन सही मायने में उनके...
Uncategorizedशीशा-ए-मय में ढले सुबह के आग़ाज़ का रंग ……. फ़ैज़ के हर्फ़ों को आवाज़ के शीशे में उतारा आशा ताई नेAmitAugust 28, 2009 by AmitAugust 28, 20090217 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #४० महफ़िल-ए-गज़ल की ३८वीं कड़ी में हुई अपनी गलती को सुधारने के लिए लीजिए हम हाज़िर हैं शरद जी की पसंद की आखिरी गज़ल...
Uncategorizedजीना यहाँ मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ….वो आवाज़ जिसने दी हर दिल को धड़कने की वजह- मुकेशSajeevAugust 27, 2009 by SajeevAugust 27, 20090311 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 184 “कल खेल में हम हों न हों गर्दिश में तारे रहेंगे सदा, भूलोगे तुम भूलेंगे वो, पर हम तुम्हारे...
Uncategorizedचांदन में मैं तकूँ जी…तेरा सोना मुखडा…..प्यार से पुकारा कैलाश खेर ने "आओ जी…"SajeevAugust 27, 2009 by SajeevAugust 27, 20090203 ताजा सुर ताल (17) ताजा सुर ताल में आज जिक्र एक गैर फ़िल्मी एल्बम के गीत की सुजॉय -आज ताज़ा सुर ताल में हम जिस...