Tag : Naushad

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"अखियाँ मिलाके अखियाँ" – गायिका सुरिंदर कौर की पुण्यतिथि पर 'आवाज़' की श्रद्धांजली

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 418/2010/118 अभी कल यानी १४ तारीख़ को पुण्यतिथि थी इस गायिका की. ५ साल पहले, आज ही के दिन, सन्...
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तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी…ये गीत समर्पित है हमारे श्रोताओं को जिनकी बदौलत ओल्ड इस गोल्ड ने पूरा किया एक वर्ष का सफर

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 350/2010/50 ‘प्योर गोल्ड’ की अंतिम कड़ी के साथ हम हाज़िर हैं। १९४० से शुरु कर साल दर साल आगे बढ़ते...
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आवाज़ दे कहाँ है…ओल्ड इस गोल्ड में पहली बार बातें गायक/अभिनेता सुरेन्द्र की

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 347/2010/47 ४० का दशक हमारे देश के इतिहास में राष्ट्रीय जागरण के दशक के रूप में याद किया जाता है।...
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अखियाँ मिलके जिया भरमा के चले नहीं जाना…जोहराबाई अंबालेवाली की आवाज़ थी जैसे कोई जादू

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 345/2010/45 १९४४ का साल फ़िल्म संगीत के इतिहास का एक और महत्वपूर्ण साल रहा, लेकिन इस साल की शुरुआत भारतीय...
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अफसाना लिख रही हूँ….उमा देवी की आवाज़ में एक खनकता नगमा

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 332/2010/32 हमारी याद आएगी’ शृंखला की दूसरी कड़ी में आपका स्वागत है। दोस्तों, यह शृंखला समर्पित है उन कमचर्चित पार्श्वगायिकाओं...
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जब दिल ही टूट गया….सहगल की दर्द भरी आवाज़ और मजरूह के बोल

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 329/2010/29 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ में पिछले तीन दिनो से आप शरद तैलंग जी के पसंद के गाने सुनते आ रहे...
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नज़र फेरो ना हम से, हम है तुम पर मरने वालों में…जी एम् दुर्रानी साहब लौटे हैं एक बार फिर महफ़िल में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 295 और आज बारी है पराग सांकला जी के पसंद के पाँचवे और फिलहाल अंतिम गीत को सुनने की। अब...
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ओ दुनिया के रखवाले….रफी साहब के गले से निकली ऐसी सदा जिसे खुदा भी अनसुनी न कर पाए

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 224 सुनहरे दौर में बहुत सारी ऐसी फ़िल्में बनी हैं जिनका हर एक गीत कामयाब रहा है। ५० के दशक...
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मिलते ही ऑंखें दिल हुआ दीवाना किसी का….एक बेहतरीन दोगाना शमशाद और तलत की आवाजों में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 207 आप सभी को हमारी तरफ़ से नवरात्री के आरंभ की हार्दिक शुभकामनाएँ। यह त्योहार आप सभी के जीवन में...
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तू कहे अगर जीवन भर मैं गीत सुनाता जाऊं…उम्र भर तो गाया मुकेश ने पर अफ़सोस ये उम्र बेहद कम रही

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 188 आज एक बार फिर से हम वापस रुख़ करते हैं ४० के दशक की आख़िर की तरफ़। १९४९ का...