Uncategorizedये कौन आता है तन्हाईयों में जाम लिए.. मख़्दूम मोहिउद्दीन के लफ़्ज़ औ' आबिदा की पुकार..वाह जी वाह!AmitJuly 21, 2010 by AmitJuly 21, 20100301 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९३ दिन से महीने और फिर बरस बीत गयेफिर क्यूं हर शब तन्हाई आंख से आंसू बनकर ढल जाती हैफिर क्यूं हर शब तेरे...
Uncategorizedशीशा-ए-मय में ढले सुबह के आग़ाज़ का रंग ……. फ़ैज़ के हर्फ़ों को आवाज़ के शीशे में उतारा आशा ताई नेAmitAugust 28, 2009 by AmitAugust 28, 20090308 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #४० महफ़िल-ए-गज़ल की ३८वीं कड़ी में हुई अपनी गलती को सुधारने के लिए लीजिए हम हाज़िर हैं शरद जी की पसंद की आखिरी गज़ल...