Tag : abida parveen

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ये कौन आता है तन्हाईयों में जाम लिए.. मख़्दूम मोहिउद्दीन के लफ़्ज़ औ' आबिदा की पुकार..वाह जी वाह!

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९३ दिन से महीने और फिर बरस बीत गयेफिर क्यूं हर शब तन्हाई आंख से आंसू बनकर ढल जाती हैफिर क्यूं हर शब तेरे...
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गुल हुई जाती है अफ़सुर्दा सुलगती हुई शाम……. महफ़िल-ए-नौखेज़ और "फ़ैज़"

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३१ आज की महफ़िल बड़ी हीं खुश-किस्मत है। आज हमारी इस महफ़िल में एक ऐसे शम्म-ए-चरागां तशरीफ़फ़रमां हैं कि उनकी आवभगत के लिए अपनी...
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तुझसे तेरे जज्बात कहूँ…. महफ़िल-ए-पुरनम और "बेगम"

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११ यूँ तो गज़ल उसी को कहते हैं जो आपके दिल-औ-दिमाग दोनों को हैरत में डाल दे। पर आज की गज़ल को सुनकर एकबारगी...
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आबिदा और नुसरत एक साथ…महफिल-ए-ग़ज़ल में

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #०२ उनकी नज़र का दोष ना मेरे हुनर का दोष,पाने को मुझको हो चला है इश्क सरफ़रोश। इश्क वो बला है जो कब किस...