Uncategorizedये कौन आता है तन्हाईयों में जाम लिए.. मख़्दूम मोहिउद्दीन के लफ़्ज़ औ' आबिदा की पुकार..वाह जी वाह!AmitJuly 21, 2010 by AmitJuly 21, 20100300 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९३ दिन से महीने और फिर बरस बीत गयेफिर क्यूं हर शब तन्हाई आंख से आंसू बनकर ढल जाती हैफिर क्यूं हर शब तेरे...
Uncategorizedगुल हुई जाती है अफ़सुर्दा सुलगती हुई शाम……. महफ़िल-ए-नौखेज़ और "फ़ैज़"AmitJuly 21, 2009 by AmitJuly 21, 20090348 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३१ आज की महफ़िल बड़ी हीं खुश-किस्मत है। आज हमारी इस महफ़िल में एक ऐसे शम्म-ए-चरागां तशरीफ़फ़रमां हैं कि उनकी आवभगत के लिए अपनी...
Uncategorizedतुझसे तेरे जज्बात कहूँ…. महफ़िल-ए-पुरनम और "बेगम"AmitMay 7, 2009 by AmitMay 7, 20090457 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११ यूँ तो गज़ल उसी को कहते हैं जो आपके दिल-औ-दिमाग दोनों को हैरत में डाल दे। पर आज की गज़ल को सुनकर एकबारगी...
Uncategorizedआबिदा और नुसरत एक साथ…महफिल-ए-ग़ज़ल मेंAmitApril 6, 2009 by AmitApril 6, 20090306 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #०२ उनकी नज़र का दोष ना मेरे हुनर का दोष,पाने को मुझको हो चला है इश्क सरफ़रोश। इश्क वो बला है जो कब किस...