Tag : faiz ahmed faiz

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मोहब्बत तर्क की मैंने गरेबाँ सी लिया मैंने.. दिल पर पत्थर रखकर खुद को तोड़ रहे हैं साहिर और तलत

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८९ “सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं?” – मुमकिन है कि आपने यह पंक्ति पढी या सुनी ना हो, लेकिन इस पंक्ति के इर्द-गिर्द जो नज़्म बुनी...
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ढल गया हिज्र का दिन आ भी गई वस्ल की रात… फ़ैज़ साहब के बेमिसाल बोल और इक़बाल बानो की मदभरी आवाज़

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८२ बात तो दर-असल पुरानी हो चुकी है, फिर भी अगर ऐसा मुद्दा हो, ऐसी घटना हो जिससे खुशी मिले तो फिर क्यों न...
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें…सज्जाद अली ने कुछ यूँ उम्मीद जगाई, साथ हैं फ़राज़ के शब्द

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #६१ आज की महफ़िल में हम हाज़िर हैं शामिख जी की पसंद की पहली गज़ल लेकर। आज की गज़ल की बात करें, उससे पहले...
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गुल हुई जाती है अफ़सुर्दा सुलगती हुई शाम……. महफ़िल-ए-नौखेज़ और "फ़ैज़"

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३१ आज की महफ़िल बड़ी हीं खुश-किस्मत है। आज हमारी इस महफ़िल में एक ऐसे शम्म-ए-चरागां तशरीफ़फ़रमां हैं कि उनकी आवभगत के लिए अपनी...