Tag : sudha malhotra

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मोहब्बत तर्क की मैंने गरेबाँ सी लिया मैंने.. दिल पर पत्थर रखकर खुद को तोड़ रहे हैं साहिर और तलत

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८९ “सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं?” – मुमकिन है कि आपने यह पंक्ति पढी या सुनी ना हो, लेकिन इस पंक्ति के इर्द-गिर्द जो नज़्म बुनी...
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"कहीं भी अपना नहीं ठिकाना" – ऐसे भूले बिसरे गीत का ठिकाना केवल 'आवाज़' ही है

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 416/2010/116 ‘दिल-ए-नादान’ सन् १९५३ की एक ऐसी फ़िल्म थी जिसमें तलत महमूद के गाए कुछ गानें बेहद लोकप्रिय हुए थे,...
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न मैं धन चाहूँ, न रतन चहुँ….मन को पावन धारा में बहा ले जाता एक मधुर भजन….

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 394/2010/94 दोस्तों, इन दिनों ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर आप सुन रहे हैं पार्श्वगायिकाओं के गाए युगल गीतों पर आधारित हमारी...
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सलामे हसरत कबूल कर लो…इस गीत में सुधा मल्होत्रा की आवाज़ का कोई सानी नहीं

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 334/2010/34 फ़िल्म संगीत के कमचर्चित पार्श्वगायिकाओं को याद करने का सिलसिला जारी है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की विशेष लघु शृंखला...