Uncategorizedढल गया हिज्र का दिन आ भी गई वस्ल की रात… फ़ैज़ साहब के बेमिसाल बोल और इक़बाल बानो की मदभरी आवाज़AmitMay 5, 2010 by AmitMay 5, 20100274 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८२ बात तो दर-असल पुरानी हो चुकी है, फिर भी अगर ऐसा मुद्दा हो, ऐसी घटना हो जिससे खुशी मिले तो फिर क्यों न...
Uncategorizedउल्फ़त की नई मंज़िल को चला……. महफ़िल में इक़बाल बानो और क़तील एक साथAmitJuly 31, 2009 by AmitJuly 31, 20090293 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३४ १८वें एपिसोड में हमने आपको “तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे” सुनवाया था जिसे अपनी पुरकशिश आवाज़ से रंगीन किया था मोहतरमा...
Uncategorizedतेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे….. पेश है ऐसी हीं एक महफ़िलAmitJune 5, 2009 by AmitJune 5, 20090375 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१८ मुमकिन है कि मेरी इस बात पर कईयों की भौंहें तन जाएँ, कई सारे लोग मुझे देशभक्ति का सबक सिखाने को आतुर हो...