हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर.. यादें गढने और चेहरे पढने में उलझे हैं रूप कुमार और जाँ निसार
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #९० “जाँ निसार अख्तर साहिर लुधियानवी के घोस्ट राइटर थे।” निदा फ़ाज़ली साहब का यह कथन सुनकर आश्चर्य होता है.. घोर आश्चर्य। पता करने...