Tag : old classics

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दो चमकती आँखों में कल ख्वाब सुनहरा था जितना…..आईये याद करें गीत दत्त को आज उनकी पुण्यतिथि पर

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 443/2010/143 “दो चमकती आँखों में कल ख़्वाब सुनहरा था जितना, हाये ज़िंदगी तेरी राहों में आज अंधेरा है उतना”। गीता...
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जीवन है मधुबन….इस गीत की प्रेरणा है मशहूर के सरा सरा गीत की धुन

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 442/2010/142 अंग्रेज़ी में एक कहावत है – “1% inspiration and 99% perspiration makes a man successful”. अर्थात् परिश्रम के मुक़ाबले...
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लहरों पे लहर, उल्फत है जवाँ….हेमंत दा इस गीत में इतनी भारतीयता भरी है कि शायद ही कोई कह पाए ये गीत "इंस्पायर्ड" है

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 441/2010/141 नमस्कार! ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की एक नई सप्ताह के साथ हम फिर एक बार हाज़िर हैं। दोस्तों, हमारे देश...
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रिमझिम के गीत सावन गाये….एल पी के संगीत में जब सुर मिले रफ़ी साहब और लता जी के तो सावन का मज़ा दूना हो गया

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 439/2010/139 रिमझिम के तरानों पर सवार होकर हम आज पहुंचे हैं इस भीगी भीगी शृंखला की अंतिम कड़ी पर। ‘रिमझिम...
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सावन के महीने में…..जब याद आये मदन मोहन साहब तो दिल गा उठता है…

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 438/2010/138 तीन दशक बीत चुके हैं, लेकिन जब भी जुलाई का यह महीना आता है तो कलेण्डर का पन्ना इशारा...
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बरसे फुहार….गुलज़ार साहब के ट्रेड मार्क शब्द और खय्याम साहब का सुहाना संगीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 437/2010/137 ‘रिमझिम के तराने’ शृंखला की आज है आठवीं कड़ी। दोस्तों, हमने इस बात का ज़िक्र तो नहीं किया था,...
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सावन के झूले पड़े…राग पहाड़ी पर आधारित एक मधुर सुमधुर गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 437/2010/137 नमस्कार दोस्तों! सावन के महीने की एक और परम्परा है झूलों का लगना। शहरों में तो नहीं दिखते, लेकिन...
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वृष्टि पड़े टापुर टुपुर…टैगोर की कविता से प्रेरित होकर दादू रविन्द्र जैन ने रचा ये सदाबहार गीत

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 436/2010/136 नमस्कार दोस्तों! सावन की रिमझिम फुहारों का आनंद इन दिनों आप ले रहे होंगे अपनी अपनी जगहों पर। और...
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रिमझिम के तराने लेके आई बरसात…सुनिए एस डी दादा का ये गीत, जिसे सुनकर बिन बारिश के भी मन झूम जाता है

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 435/2010/135 आज है ‘रिमझिम के तराने’ शृंखला की पांचवी कड़ी। यानी कि हम पहुँचे हैं इस शृंखला के बीचोंबीच, और...
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सावन में बरखा सताए….लीजिए एक शिकायत भी सुनिए मेघों की रिमझिम से

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 434/2010/134 ‘रिमझिम के तराने’ शृंखला की चौथी कड़ी में आज प्रस्तुत है एक ऐसा गीत जिसमें है जुदाई का रंग।...