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हम तो जानी प्यार करेगा, नहीं डरेगा….चितलकर और आशा ने जमाया जम कर रंग

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 199

‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ में जारी है ‘१० गायक और एक आपकी आशा’। आशा भोंसले की आवाज़ वो सुरीली आवाज़ है, जानी पहचानी सी, कुछ नई कुछ पुरानी सी, कभी कोमल कभी बुलंद सी। आवाज़ वही पर अंदाज़ हमेशा नया। आशा जी की आवाज़ और अंदाज़ सिर्फ़ हिंदुस्तान में ही नहीं, विदेशों में भी ख़ूब लोकप्रिय हुआ। हाल में उन्होने कई विदेशी बैंड्स से साथ मिल कर ‘पॊप ऐल्बम्स’ में गाने गाए हैं, जो दुनिया भर में ख़ूब सुने गए। आशा जी की आवाज़ को पाने के लिए संगीतकार और फ़िल्मकार आज भी आमादा रहते हैं जैसा कि गुज़रे ज़माने के संगीतकार और फ़िल्मकार रहते थे। फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों की बात करें तो जिन गीतों के लिए आशा जी को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का यह पुरस्कार मिला था, उनकी सूची इस प्रकार है –

१९६७ – ग़रीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा (दस लाख)
१९६८ – परदे में रहने दो (शिकारी)
१९७१ – पिया तू अब तो आजा (कारवाँ)
१९७२ – दम मारो दम (हरे रामा हरे कृष्णा)
१९७३ – होने लगी है रात (नैना)
१९७४ – चैन से हमको कभी आप ने जीने ना दिया (प्राण जाए पर वचन न जाए)
१९७८ – ये मेरा दिल यार का दीवाना (डॊन)

इसके बाद आशा जी ने यह पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था। ‘उमराव जान’ के गानें और ‘इजाज़त’ का गीत “मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है” के लिए उन्हे दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फ़िल्म जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए आशा भोंसले को भारत सरकार ने दादा साहब फालके पुरस्कार और पद्मविभुषण से सम्मानित किया है।

आशा जी के गाए युगल गीतो की इस विशेष शृंखला में १० में से ८ गायकों के साथ उनके गाए युगल गीत आप सुन चुके हैं, आज बारी है एक बार फिर से एक गायक-संगीतकर की। गायक चितलकर और संगीतकार सी. रामचन्द्र। आशा और सी. रामचन्द्र के साथ का सब से महत्वपूर्ण पड़ाव रहा है फ़िल्म ‘नवरंग’। इस फ़िल्म में चितलकर ने आशा जी के साथ अपनी आवाज़ भी मिलाई “कारी कारी अंधियारी रात” गीत में। ‘नवरंग’ फ़िल्म आयी थी सन् १९५८ में। इसके पिछले साल, १९५७ में सी. रामचन्द्र के संगीत से सज कर जो फ़िल्में प्रदर्शित हुई थीं, उनके नाम हैं – आशा, बारिश, शारदा, तलाश, और नौशेरवान-ए-आदिल। इनमें से पहले तीन फ़िल्मों में आशा भोंसले के गाए गानें कामयाब रहे। ख़ास कर फ़िल्म ‘आशा’ का ‘ईना मीना डीका’ तो एक कल्ट सोंग बन कर रह गया। इस गीत की लोकप्रियता से प्रेरित होकर सी. रामचन्द्र ने उसी साल फ़िल्म ‘बारिश’ के लिए बना डाला “मिस्टर जौन, बाबा ख़ान, लाला रोशनदान”। इस गीत को भी आशा जी ने वही अंजाम दिया जो उन्होने ‘ईना मीना डीका’ को दिया था। फ़िल्म ‘बारिश’ में ही आशा जी ने एक युगल गीत गाया था सी. रामचन्द्र, यानी कि चितलकर के साथ। आज आइए सुनते हैं इसी गीत को। चितलकर जब भी माइक्रोफोन के सामने खड़े हुए हैं, अधिकतर समय उन्होने हल्के फुल्के और चुलबुले से गानें ही गाए हैं। प्रस्तुत गीत भी कुछ इसी अंदाज़ का है। “हम तो जानी प्यार करेगा, प्यार करेगा, नहीं डरेगा नहीं डरेगा”। सुनिए…

गीत के बोल:
चितलकर: जो सीने में न दिल होता
तो फिर हम तुम पे क्यूँ मरते
आँ बोलो ना
अरे जो सीने में न दिल होता
तो फिर हम तुम पे क्यूँ मरते

मोहब्बत जैसा घटिया काम
करते भी तो क्यूँ करते
हाय रे हाय रे
डॉज़ गाड़ी के इंजन की क़सम

हम तो जानी प्यार करेगा, प्यार करेगा, प्यार
अरे अरे अरे अरे
अरे दीवाने अबे मरेगा
नहीं डरेगा, नहीं डरेगा
हम तो जानी प्यार करेगा, प्यार करेगा, प्यार करेगा
हम तो जानी

आशा: (अभी है जवाँ दुनिया का कुछ नहीं है मज़ा चक्खा
चितलकर: प्यार नहीं तो दुनिया में फिर बोलो क्या है रक्खा ) -2
रोक सको तो रोको हमको
रोक सको तो रोको हमको हम तो नैना चार करेगा
आशा: नहीं डरेगा
चितलकर: नहीं डरेगा
(हम तो जानी प्यार करेगा, प्यार करेगा, प्यार करेगा
हम तो जानी ) -2

(दिल से दिल का सौदा करने ये है आया बंदा
मान भी जाओ प्यार से अच्छा नहीं है कोई धंधा ) -2
आशा: जान की तेरी खैर नहीं है
चितलकर: अबे भाग जली
आशा: जान की तेरी खैर नहीं है अगर तू तकरार करेगा

चितलकर: नहीं डरेगा, नहीं डरेगा
(हम तो जानी प्यार करेगा, प्यार करेगा, प्यार करेगा
हम तो जानी ) -2

आशा: (पहले तो दिल फेंक कभी ना देखा ऐसा वैसा
चितलकर: कभी हुआ है और ना होगा देखो मेरे जैसा ) -2
मानो या ना मानो हम तो
मानो या ना मानो हम तो तुमको गले का हार करेगा

आशा: नहीं डरेगा
चितलकर: नहीं डरेगा
(हम तो जानी प्यार करेगा, प्यार करेगा, प्यार करेगा
हम तो जानी ) -2
हाय हाय हाय हाय रे

और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला “ओल्ड इस गोल्ड” गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)”गेस्ट होस्ट”. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

१. रफी साहब के आलावा कौन हो सकते हैं ओल्ड इस गोल्ड के एतिहासिक अंक में आशा के जोडीदार.
२. इस फिल्म से मुकेश की आवाज़ में एक दर्द भरा विदाई गीत हम सुन चुके हैं.
३. एक अंतरे की दूसरी पंक्ति में इस शब्द पर ख़तम होती है -“पागल”.

पिछली पहेली का परिणाम –
पूर्वी जी आपकी कशमकश जायज़ थी, जिसके लिए हम माफ़ी चाहेंगें, लेकिन पराग जी को अंक मिलेंगें, आप भी अब २४ के स्कोर पर हैं….आज का गीत इतना मस्त है की इसे सुनकर आप सब भी गिले शिकवे भूल जायेंगें हमें यकीन है, पाबला जी….आप तो हमारे लिए यूं भी विजेता हैं…गीत के बोल देने का नेक काम जो करते हैं आप, और हाँ आपकी उलझन तो दिलीप जी ने सुलझा ही दी है, पूर्वी जी, आपके लिए एक बार फिर दुःख तो है पर अंक देने में हम असमर्थ हैं….:)

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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