Uncategorizedबरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा….जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन मेंSajeevAugust 5, 2010 by SajeevAugust 5, 20100627 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 455/2010/155 “सेहरा में रात फूलों की”, आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल...
Uncategorizedवो एक दोस्त मुझको खुदा सा लगता है…..सुनेंगे इस गज़ल को तो और भी याद आयेंगें किशोर दाSajeevAugust 4, 2010 by SajeevAugust 4, 20100346 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 454/2010/154 मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, और लता मंगेशकर के बाद आज बारी है किशोर दा, यानी किशोर कुमार की। और...
Uncategorizedअहले दिल यूँ भी निभा लेते हैं….नक्श साहब का कलाम और लता की पुरकशिश आवाज़SajeevAugust 3, 2010 by SajeevAugust 3, 20100404 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 453/2010/153 ख़य्याम साहब एक ऐसे संगीतकार रहे जिन्होने ना केवल अपने संगीत के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया, बल्कि...
Uncategorizedये क्या जगह है दोस्तों…..शहरयार, खय्याम और आशा की तिकड़ी और उस पर रेखा की अदाकारी – बेमिसालSajeevAugust 2, 2010 by SajeevAugust 2, 20100326 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 452/2010/152 ‘सेहरा में रात फूलों की’ – ८० के दशक की कुछ यादगार ग़ज़लों की इस लघु शृंखला की दूसरी...
Uncategorizedमोहब्बत रंग लाएगी जनाब आहिस्ता आहिस्ता….इसी विश्वास पे तो कायम है न दुनिया के तमाम रिश्तेSajeevAugust 1, 2010 by SajeevAugust 1, 20100352 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 451/2010/151 फ़िल्म संगीत का सुनहरा दौर ४० के दशक के आख़िर से लेकर ५० और ६० के दशकों में पूरे...
Uncategorizedठंडी हवा ये चाँदनी सुहानी…..और ऐसे में अगर किशोर दा सुनाएँ कोई कहानी तो क्यों न गुनगुनाये जिंदगीSajeevJuly 29, 2010 by SajeevJuly 29, 20100331 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 450/2010/150 ‘गीत अपना धुन पराई’, आज हम आ पहुँचे हैं इस शृंखला की अंतिम कड़ी पर। पिछले नौ कड़ियों में...
Uncategorizedगोरे गोरे ओ बांके छोरे….प्रेरित धुनों पर थिरकने वाले गीतों की संख्या अधिक हैSajeevJuly 28, 2010 by SajeevJuly 28, 20100309 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 449/2010/149 संगीतकार सी. रामचन्द्र को क्रांतिकारी संगीतकारों की सूची में शामिल किया जाता है। ४० के दशक में जब फ़िल्म...
Uncategorizedये रास्ते हैं प्यार के…..जहाँ कभी कभी "प्रेरणा" भी काम आती हैSajeevJuly 25, 2010 by SajeevJuly 25, 20100281 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 446/2010/146 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ स्तंभ के सभी संगीत रसिकों का एक बार फिर से स्वागत है इस सुरीली महफ़िल में...
Uncategorizedदिल तड़प तड़प के…..सलिल दा की धुन पर मुकेश (जयंती पर विशेष) और लता की आवाजेंSajeevJuly 22, 2010 by SajeevJuly 22, 20100282 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 445/2010/145 ‘गीत अपना धुन पराई’ लघु शृंखला में इन दिनों आप सुन रहे हैं फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के...
Uncategorizedकैसा तेरा प्यार कैसा गुस्सा है सनम…कभी आता है प्यार तो कभी गुस्सा विदेशी धुनों से प्रेरित गीतों को सुनकरSajeevJuly 21, 2010 by SajeevJuly 21, 20100554 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 444/2010/144 किसी विदेशी मूल धुन से प्रेरित होकर हिंदी फ़िल्मी गीत बनाने वाले संगीतकारों की अगर चर्चा हो, और उसमें...