Uncategorizedये रास्ते हैं प्यार के…..जहाँ कभी कभी "प्रेरणा" भी काम आती हैSajeevJuly 25, 2010 by SajeevJuly 25, 20100283 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 446/2010/146 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ स्तंभ के सभी संगीत रसिकों का एक बार फिर से स्वागत है इस सुरीली महफ़िल में...
Uncategorizedलाई है हज़ारों रंग होली…और हजारों शुभकामनाएं संगीतकार रवि को जन्मदिन की भीSajeevMarch 3, 2010 by SajeevMarch 3, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 362/2010/62 ‘गीत रंगीले’ शृंखला की दूसरी कड़ी में आप सभी का एक बार फिर स्वागत है। दोस्तों, आप ने बचपन...
Uncategorizedएक धुंध से आना है एक धुंध में जाना है, गहरी सच्चाईयों की सहज अभिव्यक्ति यानी आवाज़े महेंदर कपूरSajeevJanuary 20, 2010 by SajeevJanuary 20, 20100283 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 320/2010/20 और आज हम आ पहुँचे हैं ‘स्वरांजली’ की अंतिम कड़ी में। गत ९ जनवरी को पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर साहब...
Uncategorizedदादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ…जब तुतलाती आवाजों में ऐसे बच्चे मनाएं तो कौन भला रूठा रह पाएSajeevNovember 19, 2009 by SajeevNovember 19, 20090265 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 267 ‘ब्रच्चों का एक गहरा लगाव होता है अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ। कहते हैं कि बूढ़ों और बच्चों...
Uncategorizedबच्चे मन के सच्चे….साहिर साहब के बोलों में झलकता निष्पाप बचपन का प्रतिबिम्बSajeevNovember 15, 2009 by SajeevNovember 15, 20090250 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 263 इन दिनों ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर आप सुन रहे हैं बच्चों वाले गीतों की एक ख़ास लघु शृंखला ‘बचपन...
Uncategorizedकिस्मत के खेल निराले मेरे भैया…गायक संगीतकार और गीतकार रवि साहब की जिंदगी को छूती रचनाSajeevOctober 14, 2009 by SajeevOctober 14, 20090246 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 232 कहते हैं कि क़िस्मत में जो रहता है, वही होता है। शुरु से ही इस बात पर बहस चलती...
Uncategorizedचलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों….साहिर ने लिखा यह यादगार गीत.SajeevAugust 23, 2009 by SajeevAugust 23, 20090416 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 180 शरद तैलंग जी के फ़रमाइशी गीतों को सुनते हुए आज हम आ पहुँचे हैं उनकी पसंद के पाँचवे और...
Uncategorizedछू लेने दो नाज़ुक होंठों को…राज कुमार का संजीदा अंदाज़ और रफी साहब की गलाकारीSajeevJuly 29, 2009 by SajeevJuly 29, 20090299 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 155 मोहम्मद रफ़ी पर केन्द्रित विशेष शृंखला ‘दस चेहरे एक आवाज़’ के लिए आज हम ने जिस चेहरे को चुना...
Uncategorizedआप आये तो ख़्याल-ए-दिले नाशाद आया….साहिर के टूटे दिल का दर्द-ए-बयां बन कर रह गया ये गीत.SajeevMay 9, 2009 by SajeevMay 9, 20090448 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 75 निर्माता-निर्देशक बी. आर. चोपड़ा अपनी फ़िल्मों के लिए हमेशा ऐसे विषयों को चुनते थे जो उस समय के समाज...
Uncategorizedतुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा…पति प्रेम की पवित्र भावनाओं को समर्पित एक गीतSajeevMay 5, 2009 by SajeevMay 5, 20090302 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 71 आज ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’के लिए हमने जिस गीत को चुना है उसमें एक पत्नी का अपने पति के लिए...