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कन्हैया किसको कहेगा तू मैया….इन्दीवर साहब को सलाम करें इस जन्माष्ठमी पर

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 171

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन उपलक्ष्य पर हम सभी श्रोतायों और पाठकों का हार्दिक अभिनंदन करते हैं। दोस्तों, पिछले दस दिनों से आप किशोर दा के गाये गीतों का आनंद उठा रहे थे। उनके गाये उन गीतों को सुनते हुए हम इस क़दर उनकी आवाज़ में खो गये थे कि आज के इस विशेष पर्व पर प्रसारण योग्य गीत भी हम उन्ही की आवाज़ में चुन बैठे। और हमें पूरा विश्वास है कि प्रस्तुत गीत आप को भी बहुत पसंद आयेगा। श्रीकृष्ण के जन्म की कहानी तो आप को मालूम ही होगी, लेकिन आज के इस गीत के महत्व को बेहतर तरीके से समझने के लिए हम उस पौराणिक कहानी को संक्षेप में आप को बता रहे हैं। देवकी और रोहिणी को मिलाकर राजा वासुदेव की ६ पत्नियाँ थीं। देवकी से विवाह के बाद, देवकी के भाई कंस को यह भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी के आठवें पुत्र के हाथों उनका वध होगा। वासुदेव के अनुरोध पर कंस ने देवकी को नहीं मारा, लेकिन देवकी के पहले ६ पुत्रों की जीवन लीला ज़रूर समाप्त कर दी। जब देवकी साँतवीं बार माँ बनने जा रही थीं, तो भगवान विष्णु ने देवकी का गर्भ रोहिणी के कोख में स्थानांतरित कर दिया ताकि उस बच्चे का कंस के हाथों वध न हो। और यह ख़बर जारी कर दिया गया कि देवकी का गर्भपात हो गया है। जब रोहिणी के कोख से देवकी के साँतवें बच्चे का जन्म हुआ तो उसका नाम रखा गया बलराम। उधर नन्दराज और यशोदा गाँव में रोहिणी और उसके बच्चे की देखभाल करते हैं। और इधर देवकी अपने आठवें बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होती हैं। विष्णु ही देवकी के आठवे संतान के रूप में उसकी कोख में पल रहे होते है, जिनके हाथों कंस का वध होना है, और जिसे मारने के लिए कंस कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ेगा। और उधर यशोदा की कोख में पल रही होती है निद्रा व रात्री की देवी सुभद्रा। अब भगवान विष्णु ने हालात को इस तरह से नियंत्रित किया कि देवकी और यशोदा अपने अपने बच्चे को एक ही समय पर जन्म देंगी और यशोदा अपने बच्चे का लिंग भूल जायेंगी। ऐसा ही हुआ और अष्टमी की उस तूफ़ानी रात में दोनों बच्चों का जन्म होता है, वासुदेव अपने नवजात पुत्र को यशोदा के बगल में रख देता है और यशोदा की नवजात पुत्री को देवकी के पास। इस तरह से कृष्ण के रूप में विष्णु का दोबारा जन्म होता है जिसे नंद और यशोदा पाल पोस कर बड़ा करते हैं, और उधर देवकी और वासुदेव के पास पलती है योशोदा की बेटी। यशोदा कृष्ण पर पूरी ममता लुटाती है, लेकिन बाद में उसे पता चल जाता है जब कृष्ण शैशवस्था में मथुरा के लिए रवाना होता है अपने कंस मामा का वध करने के लिए।

तो दोस्तों, यह थी कहानी श्रीकृष्ण के जन्म की, कि देवकी ने भले ही कृष्ण को जन्म दिया हो, उसे पालपोस कर बड़ा यशोदा ने ही किया। अब हम सीधे आ जाते हैं आज के गीत पर। “हे रे कन्हैया, किस को कहेगा तू मैया, जिसने तुझको जनम दिया के जिसने तुझको पाला”। १९७१ में बनी फ़िल्म ‘छोटी बहू’ की कहानी कुछ इस तरह थी कि राधा (शर्मीला टैगोर) और मधु (राजेश खन्ना) की शादी तो होती है, लेकिन जल्द ही राधा को कुछ ऐसी बिमारी घेर लेती है कि वो माँ नहीं बन सकती। ऐसे में अपनी जेठानी के बेटे से उसका बहुत लगाव हो जाता है और उसी पर अपनी पूरी ममता लुटाती है। बच्चे का लगाव भी अपनी माँ से ज़्यादा अपनी चाची के साथ हो जाता है। ऐसे में एक राह चलता बैरागी फ़कीर इस गीत को गाते हुए चलता है। यह एक सांकेतिक गीत है, यानी कि ‘सीम्बौलिक’। राधा से अपनी जेठानी के बच्चे का लगाव और उस पर लुट रही उसकी ममता को देख कर श्रीकृष्ण और यशोदा की वही कहानी याद आ जाती है। इंदीवर जी के लिखे इस गीत की तारीफ़ शब्दों में संभव नहीं है। “एक ने तुझको जीवन दिया रे, एक ने जीवन संभाला, कन्हैया, किस को कहेगा तू मैया”, या फिर “एक ने तन को रूप दिया रे, एक ने मन को ढाला, कन्हैया, किस को कहेगा तू मैया”, या “एक ने तुझको दी हैं रे आँखें, एक ने दिया उजाला, कन्हैया, किस को कहेगा तू मैया”, हर बार इंदीवर जी की उपमाओं ने दिल को गहराई तक छू लिया। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत की तो क्या कहने, बाँसुरी की मधुर तानों के साथ भक्ति रस की शैली में बनाया हुआ यह श्रीकृष्ण भजन फ़िल्मी भजनों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कल्याणजी-आनंदजी की एक और फ़िल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ के “मोसे मोरा श्याम रूठा” में भी कुछ इसी तरह का रंग हमें दिखायी देता है। तो दोस्तों, किशोर कुमार की आवाज़ में आनंद लीजिए इस भजन का, यह ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ में शामिल होनेवाला पहला भजन है।

और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला “ओल्ड इस गोल्ड” गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)”गेस्ट होस्ट”. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. कल से शुरू होगा ३ दिनों तक चलने वाला स्वतंत्रता दिवस विशेष ओल्ड इस गोल्ड पर.
2. कल का थीम है -“जय जवान”.
3. मुखड़े में शब्द है -“हिमालय”.

पिछली पहेली का परिणाम –
पूर्वी जी बधाई एक बार फिर. ८ अंक हुए आपके. हाँ पराग जी की बात पर गौर कीजियेगा…और पराग आपने बिलकुल किसी की भावनाओं को आहत नहीं किया है…”कैद में है बुलबुल…” हा हा हा…शरद जी और स्वप्न जी….सैयाद बिलकुल नहीं मुस्कुरा रहे हैं पर क्या करें नियम से बंधें हैं सब. तीसरे विजता के मिलने के साथ ही आप दोनों भी एक बार आमने सामने हो सकेंगें, तब तक नौजवानों की भिडंत का आनंद लीजिये..

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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