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छम छम नाचत आई बहार….एक ऐसा मधुर गीत जिसे सुनकर कोई भी झूम उठे

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 366/2010/66

“एक बार फिर बसंत जवान हो गया,
जग सारा वृंदावन धाम हो गया,
आम बौराई रहा, सरसों भी फूल रहा,
खेत खलिहान शृंगार हो गया,
पिया के हाथ दुल्हन शृंगार कर रही,
आज धूप धरती से प्यार कर रही,
बल, सुंदरता के आगे बेकार हो गया,
सृष्टि पे यौवन का वार हो गया,
रात भी बसंती, प्रभात भी बसंती,
बसंती पिया का दीदार हो गया,
सोचा था फिर कभी प्यार ना करूँगा, पर
‘अंजाना’ बसंत पे निसार हो गया,
एक बार फिर बसंत जवान हो गया।”

अंजाना प्रेम ने अपनी इस कविता में बसंत की सुंदरता को शृंगार रस के साथ मिलाकर का बड़ा ही ख़ूबसूरत नज़ारा प्रस्तुत किया है। दोस्तों, इन दिनों आप ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर सुन रहे हैं इस रंगीले मौसम को और भी ज़्यादा रंगीन बनानेवाले कुछ रंगीले गीत इस ‘गीत रंगीले’ शृंखला के अंतर्गत। आज प्रस्तुत है राग बहार पर आधारित लता मंगेशकर की आवाज़ में फ़िल्म ‘छाया’ का गीत “छम छम नाचत आई बहार”। राजेन्द्र कृष्ण के लिखे इस गीत की तर्ज़ बनाई है सलिल चौधरी ने। १९६१ की यह फ़िल्म ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म थी जिसमें मुख्य कलाकार थे सुनिल दत्त और आशा पारेख।

दोस्तों, उपर अभी हमने एक कविता से आपका परिचय करवाया, और तभी मुझे यह ख़याल आया कि आज का यह गीत भी किसी कविता से कम नहीं। इस गीत में बहार की इतनी सुंदरता के साथ वर्णन किया गया है, और हर दृष्टि से यह गीत इतना पर्फ़ेक्ट है कि इस गीत के बारे में कुछ भी कहने की आवश्यक्ता नहीं है। इसलिए हमने सोचा कि इस गीत के बोल ही यहाँ पर प्रस्तुत कर दिए जाएँ। गीत तो आप सुनेंगे ही, लेकिन इन बोलों का आप कविता के रूप में भी आनंद ले सकते हैं।

“छम छम नाचत आई बहार,
पात पात ने ली अंगड़ाई,
झूम रही है डार डार,
छम छम नाचत आई बहार।

महक रही फुलवारी,
निखरी क्यारी क्यारी,
फूल फूल पर जोबन आया,
कली कली ने किया सिंगार,
छम छम नाचत आई बहार।

मन मतवारा डोले,
जाने क्या क्या बोले,
नई नवेली आशा जागी,
झूमत मनवा बार बार,
छम छम नाचत आई बहार।

क्या आप जानते हैं…
कि सलिल चौधरी ने कई टीवी धारावाहिकों के लिए शीर्षक गीत/संगीत तय्यार किया था, जिनमें चर्चित हैं ‘दर्पण’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘चरित्रहीन’ और ‘अलग’।

चलिए अब बूझिये ये पहेली, और हमें बताईये कि कौन सा है ओल्ड इस गोल्ड का अगला गीत. हम आपसे पूछेंगें ४ सवाल जिनमें कहीं कुछ ऐसे सूत्र भी होंगें जिनसे आप उस गीत तक पहुँच सकते हैं. हर सही जवाब के आपको कितने अंक मिलेंगें तो सवाल के आगे लिखा होगा. मगर याद रखिये एक व्यक्ति केवल एक ही सवाल का जवाब दे सकता है, यदि आपने एक से अधिक जवाब दिए तो आपको कोई अंक नहीं मिलेगा. तो लीजिए ये रहे आज के सवाल-

1. मुखड़े की पहली पंक्ति में शब्द है -“आज”.गीत बताएं-३ अंक.
2. लता के साथ किस पुरुष गायक ने इस गीत में आवाज़ मिलायी है-२ अंक.
3. वी शांताराम निर्देशित इस फिल्म का नाम बताएं -२ अंक.
4. शुद्ध हिंदी में रचे इस गीत के गीतकार कौन हैं -२ अंक.

विशेष सूचना -‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।

पिछली पहेली का परिणाम-
शाबाश अवध जी, अब आप इंदु जी से मात्र १ अंक पीछे हैं, शरद जी एकदम सही जवाब, इंदु जी, चलिए आपकी चीटिंग माफ, और आपकी खुशमिजाजी को एक बार फिर सलाम. पदम सिंह जी ने भी खाता खोला है नए संस्करण में बधाई…
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
पहेली रचना –सजीव सारथी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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