Uncategorizedमुसाफिर हूँ यारों…न घर है न ठिकाना…हमें भी तो किशोर दा को गीतों को बस सुनते ही चले जाना है….SajeevAugust 13, 2009 by SajeevAugust 13, 20090256 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 170 दोस्तों, पिछले ९ दिनों से लगातार किशोर दा की आवाज़ में ज़िंदगी के नौ अलग अलग रूपों से गुज़रते...
Uncategorizedमोरा गोरा अंग लेई ले….- गुलज़ार, एक परिचयAmitAugust 18, 2008 by AmitAugust 18, 20080371 गुलज़ार बस एक कवि हैं और कुछ नही, एक हरफनमौला कवि, जो फिल्में भी लिखता है, निर्देशन भी करता है, और गीत भी रचता है,...