Uncategorizedमुसाफिर हूँ यारों…न घर है न ठिकाना…हमें भी तो किशोर दा को गीतों को बस सुनते ही चले जाना है….SajeevAugust 13, 2009 by SajeevAugust 13, 20090257 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 170 दोस्तों, पिछले ९ दिनों से लगातार किशोर दा की आवाज़ में ज़िंदगी के नौ अलग अलग रूपों से गुज़रते...