Uncategorizedयूँ न रह-रहकर हमें तरसाईये…..एक फ़नकार जो चला गया हमें तरसाकरAmitJuly 28, 2009 by AmitJuly 28, 20090330 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३३ यूँतो हमने पिछली दफ़ा फ़रमाईश की गज़लों का सिलसिला शुरू कर दिया था.. लेकिन न जाने क्यों आज मन हुआ कि कम से...