लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में.. मादर-ए-वतन से दूर होने के ज़फ़र के दर्द को हबीब की आवाज़ ने कुछ यूँ उभारा
महफ़िल ए कहकशाँ 20 बहादुर शाह ज़फ़र दोस्तों सुजोय और विश्व दीपक द्वारा संचालित “कहकशां” और “महफिले ग़ज़ल” का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं,...