Dil se Singerशत्रुओं की छाती पर लोहा कुट.. बाबा नागार्जुन की हुंकार के साथ आईये करें गणतंत्र दिवस का स्वागतविश्व दीपकJanuary 26, 2012October 15, 2021 by विश्व दीपकJanuary 26, 2012October 15, 20212 248 महफ़िल-ए-ग़ज़ल ०२ बचपन बीत जाता है, बचपना नहीं जाता। बचपन की कुछ यादें, कुछ बातें साथ-साथ आ जाती हैं। उम्र की पगडंडियों पर चलते-चलते उन...
Dil se Singerहम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद… राही मासूम रज़ा, जगजीत-चित्रा एवं आबिदा परवीन के साथविश्व दीपकJanuary 5, 2012October 15, 2021 by विश्व दीपकJanuary 5, 2012October 15, 202111 200 “मेरे बिना किस हाल में होगा, कैसा होगा चाँद” – बस इस पंक्ति से हीं राही साहब ने अपने चाँद के दु:ख का पारावार खड़...
Dil se Singerभला हुआ मेरी मटकी फूटी.. ज़िन्दगी से छूटने की ख़ुशी मना रहे हैं कबीर… साथ हैं गुलज़ार और आबिदाAmitMay 11, 2011October 15, 2021 by AmitMay 11, 2011October 15, 202110 289 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११३ सूफ़ियों-संतों के यहां मौत का तसव्वुर बडे खूबसूरत रूप लेता है| कभी नैहर छूट जाता है, कभी चोला बदल लेता है| जो मरता...
Dil se Singerसाहिब मेरा एक है.. अपने गुरू, अपने साई, अपने साहिब को याद कर रही है कबीर, आबिदा परवीन और गुलज़ार की तिकड़ीAmitMarch 30, 2011October 15, 2021 by AmitMarch 30, 2011October 15, 20217 213 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११२ नशे इकहरे ही अच्छे होते हैं। सब कहते हैं दोहरे नशे अच्छे नहीं। एक नशे पर दूसरा नशा न चढाओ, पर क्या है...
Dil se Singerमन लागो यार फ़क़ीरी में: कबीर की साखियों की सखी बनकर आई हैं आबिदा परवीन, अगुवाई है गुलज़ार कीAmitMarch 9, 2011October 15, 2021 by AmitMarch 9, 2011October 15, 20216 161 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१११ सूफ़ियों का कलाम गाते-गाते आबिदा परवीन खुद सूफ़ी हो गईं। इनकी आवाज़ अब इबादत की आवाज़ लगती है। मौला को पुकारती हैं तो...
Dil se Singer"सातों बार बोले बंसी" और "जाने दो मुझे जाने दो" जैसे नगीनों से सजी है आज की "गुलज़ार-आशा-पंचम"-मयी महफ़िलAmitFebruary 9, 2011October 15, 2021 by AmitFebruary 9, 2011October 15, 202110 187 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #११० बाद मुद्दत के फिर मिली हो तुम,ये जो थोड़ी-सी भर गई हो तुम,ये वज़न तुम पर अच्छा लगता है.. अभी कुछ दिनों पहले...
Dil se Singerअपने पडो़सी दिल से भीनी-भीनी भोर की माँग कर बैठे गोटेदार गुलज़ार साहब, आशा जी एवं राग तोड़ी वाले पंचम दाAmitJanuary 26, 2011October 15, 2021 by AmitJanuary 26, 2011October 15, 20217 351 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१०९ गुलज़ार और पंचम – ये दो नाम दो होते हुए भी एक से लगते हैं और जब भी इन दोनों का नाम साथ...
Dil se Singerइसी को प्यार कहते हैं.. प्यार की परिभाषा जानने के लिए चलिए हम शरण लेते हैं हसरत जयपुरी और हुसैन बंधुओं कीAmitJanuary 12, 2011October 15, 2021 by AmitJanuary 12, 2011October 15, 202116 256 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१०८ ग़ज़लों की दुनिया में ग़ालिब का सानी कौन होगा! कोई नहीं! है ना? फिर आप उसे क्या कहेंगे जिसके एक शेर पर ग़ालिब...
Dil se Singerनव दधीचि हड्डियां गलाएँ, आओ फिर से दिया जलाएँ… अटल जी के शब्दों को मिला लता जी की आवाज़ का पुर-असर जादूAmitJanuary 5, 2011October 15, 2021 by AmitJanuary 5, 2011October 15, 202113 199 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१०७ राजनीति और साहित्य साथ-साथ नहीं चलते। इसका कारण यह नहीं कि राजनीतिज्ञ अच्छा साहित्यकार नहीं हो सकता या फिर एक साहित्यकार अच्छी राजनीति...
Dil se Singerउस्ताद शफ़कत अली खान की आवाज़ में राधा की "नदिया किनारे मोरा गाँव" की पुकार कुछ अलग हीं असर करती हैAmitDecember 15, 2010October 15, 2021 by AmitDecember 15, 2010October 15, 202117 452 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१०६ पिछले कुछ हफ़्तों से अगर आपने महफिल को ध्यान से देखा होगा तो महफ़िल पेश करने के तरीके में हुए बदलाव पर आपकी...