Dil se Singerजां अपनी, जांनशीं अपनी तो फिर फ़िक्र-ए-जहां क्यों हो…बेगम अख्तर और आशा ताई एक साथ.AmitApril 9, 2009October 15, 2021 by AmitApril 9, 2009October 15, 20213 133 महफ़िल-ए-ग़ज़ल #०३ ग़मे-हस्ती, ग़मे-बस्ती, ग़मे-रोजगार हूँ,ग़म की जमीं पर गुमशुदा एक शह्रयार हूँ। बात इतनी-सी है कि दिन जलाने के लिए सूरज को जलना हीं...