Uncategorizedपीतल की मेरी गागरी….लोक संगीत और गाँव की मिटटी की महक से चहकता एक 'सखी सहेली' गीतSajeevApril 9, 2010 by SajeevApril 9, 20100228 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 399/2010/99 कुछ आवाज़ें ऐसी होती हैं जिनमें इस मिट्टी की महक मौजूद होती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसी...
Uncategorizedनि मैं यार मानना नि चाहें लोग बोलियां बोले…जब मिलाये मीनू पुरषोत्तम ने लता के साथ ताल से तालSajeevFebruary 7, 2010 by SajeevFebruary 7, 20100254 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 338/2010/38 फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के कमचर्चित पार्श्वगायिकाओं को समर्पित ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की लघु शृंखला ‘हमारी याद आएगी’...
Uncategorizedना ना ना रे ना ना …हाथ ना लगाना… दो अलग अंदाज़ ओ आवाज़ की गायिकाओं का सुंदर मेलSajeevMay 29, 2009 by SajeevMay 29, 20090211 ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 95 आम तौर पर फ़िल्मी युगल गीत में एक गायक और एक गायिका की आवाज़ें हुआ करती हैं। लेकिन समय...