Month : June 2010

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मोहब्बत तर्क की मैंने गरेबाँ सी लिया मैंने.. दिल पर पत्थर रखकर खुद को तोड़ रहे हैं साहिर और तलत

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८९ “सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं?” – मुमकिन है कि आपने यह पंक्ति पढी या सुनी ना हो, लेकिन इस पंक्ति के इर्द-गिर्द जो नज़्म बुनी...
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कांकरिया मार के जगाया…..लता का चुलबुला अंदाज़ और निखरा कल्याणजी-आनंदजी के सुरों में

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 423/2010/123 कल्याणजी-आनंदजी के स्वरबद्ध गीतों का सिलसिला जारी है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की लघु शृंखला ‘दिल लूटने वाले जादूगर’ के...
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बहुत कुछ खत्म होके भी हिमेश भाई और संगीत के दरम्यां कुछ तो बाकी है.. और इसका सबूत है "मिलेंगे मिलेंगे"

Amit
ताज़ा सुर ताल २३/२०१० सुजॊय – सभी श्रोताओं व पाठकों का स्वागत है ‘ताज़ा सुर ताल’ के एक और ताज़े अंक में। इस शुक्रवार वह...
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जो प्यार तुने मुझको दिया था….मुकेश की आवाज़ और कल्याणजी आनंदजी का स्वर संसार

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 422/2010/122 ‘दिल लूटने वाले जादूगर’ – कल्याणजी-आनंदजी के सुरों से सजे दिलकश गीतों पर आधारित ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ की इस...
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दिल लूटने वाले जादूगर….संगीतकार जोड़ी जिसने बीन की धुन पर दुनिया को दीवाना बनाया

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 421/2010/121 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के एक नए सप्ताह के साथ हम फिर एक बार हाज़िर हैं। दोस्तों, फ़िल्म जगत में...
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सुनो कहानी: सात ठगों का किस्सा – अनुराग शर्मा के स्वर में

Amit
सुनो कहानी: सात ठगों का किस्सा ‘सुनो कहानी’ इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की...
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खुदा के अक्स और आवारगी के रक्स के बीच कुछ दर्द भी हैं मैले मैले से

Amit
Season 3 of new Music, Song # 10 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया, पर क्या इतने भर से हमारी जिम्मेदारी समाप्त...
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"धड़क धड़क तेरे बिन मेरा जियरा" – दो नामी गायिकाएँ लेकिन उनकी दुर्लभ जोड़ी

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 420/2010/120 ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ में हम पिछले नौ दिनों से सुन रहे हैं दुर्लभ गीतों से सजी लघु शृंखला ‘दुर्लभ...
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"मौसम है बड़ा मस्ताना" – एक और दुर्लभ गीत, एक और दुर्लभ आवाज़

Sajeev
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 419/2010/119 दोस्तों, दुर्लभ गीत उसे कहा जाता है जिसे आसानी से प्राप्त न किया जा सके। या फिर उस गीत...
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दिल मगर कम किसी से मिलता है… बड़े हीं पेंचो-खम हैं इश्क़ की राहो में, यही बता रहे हैं जिगर आबिदा

Amit
महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८८ “को“कोई अच्छा इनसान ही अच्छा शायर हो सकता है।” ’जिगर’ मुरादाबादी का यह कथन किसी दूसरे शायर पर लागू हो या न हो,...