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रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत (7)

क्‍या आपको याद है नाजिया हसन की
1980 में जब एकाएक ही एक नाम संगीत में धूमकेतू की तरह उभरा था और पूरा देश गुनगुना रहा था ‘आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये तो बात बन जाये ” उस समय ये गीत इतना लोकप्रिय हुआ कि इसने वर्ष के श्रेष्‍ठ गीत की दौड़ में फिल्‍म आशा के गीत “शीशा हो या दिल हो” को पछाड़ कर बिनाका सरताज का खिताब हासिल कर लिया था । उस समय फिल्‍मी गीतों का सबसे विश्‍वसनीय काउंट डाउन बिनाका गीत माला में लगातार 14 सप्‍ताह तक ये गीत नंबर वन रहा । “कुर्बानी” के इस गीत को गाने वाली गायिका थी नाजिया हसन और संगीत दिया था बिद्दू ने । एक बिल्‍कुल अलग तरह का संगीत जो कि साजों से ज्यादह इलेक्‍ट्रानिक यंत्रों से निकला था उसको लोगों ने हाथों हाथ लिया । नाजिया की बिल्‍कुल नए तरह की आवाज का जादू लोगों के सर पर चढ़ कर बोलने लगा ।

नाजिया का जन्‍म 3 अप्रैल 1965 को कराची पाकिस्‍तान में हुआ था । और जब नाजिया ने कुर्बानी फिल्‍म का ये गीत गाया तो नाजिया की उम्र केवल पन्‍द्रह साल थी । इस गीत की लोकप्रियता को देखते हुए बिद्दू ने नाजिया को प्राइवेट एल्‍बम लांच करने का विचार किया और जब ये विचार मूर्त रूप तक आया तो इतिहास बन चुका था । नाजिया तथा उसके भाई जोएब हसन ने मिलकर 1980 में पूरे संगीत जगत को हिला कर रख दिया था । “डिस्‍को दीवाने” एक ऐसा एलबम था जो कि न जाने कितने रिकार्ड तोड़ता गया । तब ये ब्‍लैक में बिकता था और लोगों ने इसे खरीदने के 50 रुपये ( तब एल पी रेकार्ड चलते थे जो पचास रुपये के होते थे ) के स्‍थान पर 100 रुपये 150 रुपये भी दिये । हालंकि दोनों भाई बहन मिलकर लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे थे लेकिन नाजिया की आवाज़ का जादू सर चढ़ कर बोला था । आओ ना प्‍यार करें और डिस्‍को दीवाने जैसे गानों ने कुर्बानी की सफलता को कायम रखा था ।

नाजिया हसन की शिक्षा लंदन में हुई तथा अधिकांश समय भी वहीं बीता । 1995 में नाजिया की शादी मिर्जा इश्तियाक बेग से हुई और फिर एक बेटा अरीज भी हुआ किन्‍तु वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा तथा 2000 में नाजिया का तलाक हो गया । नाजिया ने अपनी कमाई का काफी बड़ा हिस्‍सा चैरेटी में लगा दिया था और वे कई संस्‍थाओं के लिये काम करती रहीं । भारत में भी इनरव्‍हील के माध्‍यम से बालिकाओं के लिये काफी काम किया । 13 अगस्‍त 2000 को 35 साल की उम्र में नाजिया का फेफड़ों के केंसर से निधन हो गया । नाजिया की मृत्‍यु के बाद पाकिस्‍तान सरकार ने नाजिया को सर्वोच्‍च सम्‍मान ‘प्राइड आफ परफार्मेंस’ प्रदान किया ।

डिस्‍को दीवाने पाकिस्‍तानी भाई बहन का एक ऐसा एल्‍बम था जो कि उस समय का एशिया में सबसे जियादह बिकने वाला एल्‍बम बना । न केवल दक्षिण एशिया बल्कि रशिया, ब्राजील, इंडोनेशिया में भी उसकी लोकप्रियता की धूम मची । पूरे विश्‍व में 14 बिलियन कापियों के साथ ये एल्‍बम नंबर वन बना और नाजिया सुपर स्‍टार बन गई । नाजिया के गाने डिस्‍को दीवाने ने ब्राजील के चार्ट बस्‍टर में सबसे ऊपर जगह बनाई ।

इस एल्‍बम में कुल मिलाकर 10 ट्रेक थे जिनमें से 7 बिद्दू के संगीतबद्ध किये हुए थे और 3 अरशद मेहमूद के । गीत लिखे थे अनवर खालिद, मीराजी और हसन जोड़ी ने ।

कुर्बानी(1980)के बाद दोनों भाई बहनों ने भारत की कुछ फिल्‍मों जैसे स्‍टार(बूम बूम)(1982),शीला(1989),दिलवाला(1986),मेरा साया(नयी)(1986),मैं बलवान(1986),साया(1989),इल्‍जाम (1986)जैसी फिल्‍मों में गीत गाये लेकिन “आप जैसा कोई” की सफलता को नहीं दोहरा सके, उसमें भी कुमार गौरव की सुपर फ्लाप फिल्‍म ‘स्‍टार’ में तो नाजिया जोहेब के दस गाने थे । वहीं डिस्‍को दीवाने के बाद दोनों ने मिल कर स्‍टार (बूम बूम)(1982), यंग तरंग(1984), हाटलाइन(1987),कैमरा’कैमरा(1992),दोस्‍ती जैसे प्राइवेट एल्‍बम और भी निकाले लेकिन यहां भी डिस्‍को दीवाने की कहानी दोहराई नहीं जा सकी । हालंकि ये एल्‍बम चले लेकिन डिस्‍को दीवाने तो एक इतिहास था । 1982 में आये एल्‍बम बूम बूम के सारे गीतों को कुमार गौरव की फिल्‍म स्‍टार में लिया गया था जिसमें कुमार गौरव ने एक गायक की ही भुमिका निभाई थी । गाने तो पूर्व से ही लोकप्रिय थे किन्‍तु फिल्‍म को उसका लाभ नहीं मिला ।

तो आइये इस रविवार सुबह की कॉफी का आनंद लें डिस्‍को दीवाने के गीतों के संग.

आओ न प्‍यार करें (नाजिया हसन)

डिस्‍को दीवाने (नाजिया हसन)

लेकिन मेरा दिल (नाजिया हसन)

मुझे चाहे न चाहे (नाजिया और जोहब)

कोमल कोमल (नाजिया हसन)

तेरे कदमों को (नाजिया और जोहेब)

दिल मेरा ये (नाजिया हसन )

धुंधली रात के (नाजिया हसन)

गायें मिलकर (नाजिया हसन)

डिस्‍को दीवाने (इंस्‍ट्रूमेंटल)

इस रविवार सुबह की कॉफी के अनमोल गीतों को परोसा है पंकज सुबीर ने.


“रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत” एक शृंखला है कुछ बेहद दुर्लभ गीतों के संकलन की. कुछ ऐसे गीत जो अमूमन कहीं सुनने को नहीं मिलते, या फिर ऐसे गीत जिन्हें पर्याप्त प्रचार नहीं मिल पाया और अच्छे होने के बावजूद एक बड़े श्रोता वर्ग तक वो नहीं पहुँच पाया. ये गीत नए भी हो सकते हैं और पुराने भी. आवाज़ के बहुत से ऐसे नियमित श्रोता हैं जो न सिर्फ संगीत प्रेमी हैं बल्कि उनके पास अपने पसंदीदा संगीत का एक विशाल खजाना भी उपलब्ध है. इस स्तम्भ के माध्यम से हम उनका परिचय आप सब से करवाते रहेंगें. और सुनवाते रहेंगें उनके संकलन के वो अनूठे गीत. यदि आपके पास भी हैं कुछ ऐसे अनमोल गीत और उन्हें आप अपने जैसे अन्य संगीत प्रेमियों के साथ बाँटना चाहते हैं, तो हमें लिखिए. यदि कोई ख़ास गीत ऐसा है जिसे आप ढूंढ रहे हैं तो उनकी फरमाईश भी यहाँ रख सकते हैं. हो सकता है किसी रसिक के पास वो गीत हो जिसे आप खोज रहे हों.

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