ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ३४
क्योंकि आज हम आपको सुनवा रहे हैं सचिन देव बर्मन की संगीत रचना फ़िल्म ‘गाइड’ से, तो आज हम दोहरा रहे हैं दो ‘जयमाला’ कार्यक्रमों से चुन कर कुछ अंश। पहला ‘जयमाला’ जिसे प्रस्तुत किया था ख़ुद दादा बर्मन ने और दूसरा ‘जयमाला’ जिसे प्रस्तुत किया था उनके सुपुत्र पंचम ने। पहले ये हैं दादा बर्मन – “फ़ौजी भाइयों, आप सभी को सचिन देव बर्मन का नमस्कार! मैं जब बहुत छोटा था तब त्रिपुरा के गाँव में एक बूढ़े किसान को गाते हुए सुनता था, “रोंगीला रोंगीला रोंगीला रे, रोंगीला”। जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ यह गीत भी मेरे साथ जवान होता गया। मेरी जो संगीत में रुचि है वह इसी गाने को सुनकर पैदा हुई थी।” दोस्तों, ये जो “रोंगीला रोंगीला” की धुन थी, वही धुन बनी “आन मिलो आन मिलो” की। और अब जान लीजिए कि बर्मन दादा ने उस कार्यक्रम का समापन कैसे किया था – “मेरी गीतों में जो लोक संगीत झलकती है, उसे मैने अपने गाँव के बूढ़े किसानों से सीखा है और शास्त्रीय संगीत अल्लाउद्दिन ख़ान साहब से सीखा है। मैं सब से ज़्यादा प्यार अपनी मिट्टी को करता हूँ, और संगीत मेरा शौक है। अब मैं फिर से उस गाँव को लौट जाता हूँ जहाँ पर वह बूढ़ा किसान गा रहा था “रोंगीला रोंगीला रोगीला रे, रोंगीला”।” उधर पंचम अपने कार्यक्रम में अपने पिता कसे संबंधित एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहते हैं “वो कभी मेरी तारीफ़ नहीं करते थे। मैं कितना भी अच्छा धुन क्यों ना बनाऊँ, वो यही कहते थे कि इससे भी अच्छा बन सकता था, और कोशिश करो। एक बार वो मॊर्निंग् वाक्’ से वापस आकर बेहद ख़ुशी के साथ बोले कि आज एक बड़े मज़े की बात हो गई है। वो बोले कि आज तक जब भी मैं वाक् पर निकलता था, लोग कहते थे कि देखो एस. डी. बर्मन जा रहे हैं, पर आज वो ही लोगों ने कहा कि देखो, आर. डी. बर्मन का बाप जा रहा है! यह सुनकर मैं हँस पड़ा, हम सब बहुत ख़ुश हुए।”
ओल्ड इस गोल्ड एक ऐसी शृंखला जिसने अंतरजाल पर ४०० शानदार एपिसोड पूरे कर एक नया रिकॉर्ड बनाया. हिंदी फिल्मों के ये सदाबहार ओल्ड गोल्ड नगमें जब भी रेडियो/ टेलीविज़न या फिर ओल्ड इस गोल्ड जैसे मंचों से आपके कानों तक पहुँचते हैं तो इनका जादू आपके दिलो जेहन पर चढ कर बोलने लगता है. आपका भी मन कर उठता है न कुछ गुनगुनाने को ?, कुछ लोग बाथरूम तक सीमित रह जाते हैं तो कुछ माईक उठा कर गाने की हिम्मत जुटा लेते हैं, गुजरे दिनों के उन महान फनकारों की कलात्मक ऊर्जा को स्वरांजली दे रहे हैं, आज के युग के कुछ अमेच्युर तो कुछ सधे हुए कलाकार. तो सुनिए आज का कवर संस्करण
गीत -तेरे मेरे सपने…
कवर गायन -हेमंत बदया
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खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
