2010 की इस फ़िल्म में चूड़ियों पर बनने वाला हिमेश रेशम्मिया के शुरुआती दौर का वही स्टाइल फिर से कैसे सुनाई दिया? किन कारणों से बड़े निर्माता, निर्देशक, नायक-नायिका और गीतकार-संगीतकार के होने के बावजूद यह फ़िल्म असफल रही? इस गीत के मुखड़े में सुनहरे दौर के किन दो गीतों की झलक मिलती है? करण जोहर के शो में हिमेश रेशम्मिया ने अलका यागनिक को एक से दस के स्केल में कितनी रेटिंग दी थी? फ़िल्म में एक बाकायदा शीर्षक गीत के होते हुए भी क्यों इस गीत में फ़िल्म की रूह बसती है? ये सब आज के इस अंक में।

