कल यानी 10 जून को प्रदर्शित हो रही है एक अनूठे अंदाज की फिल्म जो पुरानी दिल्ली और वहां रहने वाले बाशिंदों की कहानी बहुत ही संवेदना से सामने रखती है, आइए आज एक Mentza मुलाकात की इस पहली कड़ी में मिलते हैं इसी फिल्म की टीम से। निर्देशिका अनामिका हकसर, अभिनेता लोकेश जैन, रविंद्र साहू, और अरुण कालरा इस चर्चा में शामिल हैं, होस्ट हैं आपका दोस्त आपका साथी सजीव सारथी। इनके अलावा फिल्म में रघुवीर यादव और के गोपालन की भी प्रमुख भूमिकाएं है । फिल्म का साउंड, सिनेमेटोग्राफी, और VFX वाकई काबिले तारीफ है।


पुरानी दिल्ली यानी शाहजहांपुर के इस इलाके का जहां एक तरफ बहुत बड़ा ऐतिहासिक महत्व है, वहीं आज के दौर में यहां रह रहे विस्थापित मजदूरों का एक अलग ही वर्तमान है, इन्हें शायद सपने देखने का हक़ तो नहीं, मगर ये भी जब नींद की आगोश में जाते होंगें, इनकी भी आंखों में कुछ सपने तो तैरते ही होंगे, ये फिल्म उन्हीं बेनाम सपनों की पड़ताल करती है , जो इनके भीतर के डर का, अनिश्चितता और कुठाओं का प्रतीक ही हैं वास्तव में । एक बेहद कलात्मक प्रस्तुति है ये फिल्म, सभी सच्चे सिनेमा प्रेमियों के लिए बेहद जरूरी है ये फिल्म ।
तो लीजिए सुनिए पूरी टीम से हुई बातचीत दो हिस्सों में
पार्ट 01


पार्ट 02







