आलेख : सुजॉय चटर्जी
स्वर : पायल विशाल
प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन
नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1991 की मशहूर फ़िल्म ’हिना’ का गीत “मैं हूँ ख़ुशरंग हिना”। लता मंगेशकर की आवाज़, रवीन्द्र जैन के बोल, और उन्हीं का संगीत। टीवी धारावाहिक ’रामायण’ में अपने रचे गीत को राज कपूर को सुनवाने पर रवीन्द्र जैन की परेशानी क्यों बढ़ गई और इसका फ़िल्म ’हिना’ के गीतों से क्या सम्बन्ध था? क्यों राज कपूर अपने ख़र्चे पर रवीन्द्र जैन को कश्मीर ले गए? कैसे बना फ़िल्म ’हिना’ के इस शीर्षक गीत का मुखड़ा? लता जी और रवीन्द्र जैन साहब के बीच friction की क्या वजह थी? ये सब और फ़िल्म ’हिना’ के गीत-संगीत की कुछ और बातें, आज के अंक में।
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